ग्वालियर। फिजीशियन सैम्पल की दवाओं की खरीद-फरोख्त का मामला सामने आया है। ये दवाइयां डॉक्टरों द्वारा जरूरतमंद मरीजों को देने के लिए होती हैं, लेकिन वे इसे ठेकेदारों को बेचकर मोटी रकम वसूलने के चक्कर में डंप करते जाते हैं। इसका अंदाजा कैंसर पहाडिय़ा स्थित पुलिया नंबर-1 पर पड़ी दवाइयों की बड़ी खेप से लगाया जा सकता है। सूत्र बताते हैं कि अभी तक लगभग 5 ट्रैक्टर दवाइयां यहां फेंकी जा चुकी हैं। हैरानी की बात यह है कि ये दवाइयां 40 से अधिक कम्पनियों की हैं। माना जा रहा है कि यह किसी ठेकेदार का ही काम है, जो बड़े स्तर पर माल की खरीद-बिक्री करता है। इनमें सैम्पल की एक्सपायरी दवाइयां हैं, जिनमें टेबलेट, कैप्सूल, सीरप, इंजेक्शन, ड्रॉप आदि शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि डॉक्टर सैम्पल की दवाइयों का स्टॉक करते रहते हैं और एक्सपायरी के पहले ठेकेदारों को सेल कर देते हैं। इससे उनकी मोटी कमाई हो जाती है। खुले में पड़ी दवाइयों को कोई भी उठाकर खा सकता है, जिससे उसकी जान को खतरा हो सकता है। लंबे समय तक पड़े रहने पर इनमें मिले केमिकल्स प्रभाव छोड़ते हैं। इससे आसपास के लोगों को एवं आने-जाने वाले लोगों को बीमारी लग सकती है। वहीं, पशु-पक्षी की जान को भी खतरा हो सकता है। नियमानुसार सैम्पल की दवाइयां बेची नहीं जा सकती। उन्हें जरूरतमंदों को ही दिया जाना चाहिए। इसके अलावा एक्सपायरी दवाओं को दो तरह से खत्म किया जा सकता है। पहला यदि किसी के पास कम मात्रा में दवा है, तो वह उसे तोडक़र जमीन में गड्ढा करके डाल सकता है और ऊपर से मिट्टी डालकर कवर कर सकता है। यदि बल्क में दवाएं हैं, तो उसे इंसीनेटर में डाला जाना चाहिए। इससे दवाइयां पूरी तरह से नष्ट हो जाती हैं। अब सवाल उठता है कि सैम्पल की दवाइयों को फेेंकने की नौबत क्यों आई। उसे एक्सपायर होने से पहले मरीजों या फिर कैंप के माध्यम से जरूरमंदों को भी दिया जा सकता था। यदि किसी ने ऐसे ही दवाइयां फेंकी हैं, तो एक-दो कम्पनी की दवा होनी चाहिए थी। लेकिन यहां 50 से अधिक कम्पनियों की दवाइयां हैं। इसका मतलब यह किसी ठेकेदार का ही काम है। केमिस्ट एसोसिएशन ग्वालियर के अध्यक्ष गिरीश अरोरा ने बताया कि सैम्पल की दवाइयां जरूरतमंद मरीजों को देने के लिए होती हैं। इनका एक्सपायर होने का तो सवाल ही नहीं उठता। यदि पहाड़ी पर बल्क में दवाइयां मिली हैं, तो यकीनन सैम्पल दवाइयों को बेचने का बड़ा रैकेट शहर में चल रहा है। उधर, सीएमएचओ मृदुल सक्सेना ने बताया कि इस मामले के बारे में अभी पता चला है। ड्रग इंस्पेक्टर को भेजकर वह एरिया दिखवाएंगे और संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।