रोहतक। चिलचिलाती गर्मी में राहत पाने के लिए अगर आप तरबूज खाने की सोच रहे हैं तो सावधान हो जाएं। शहर में जगह-जगह रेहडिय़ों व दुकानों पर बिकने वाला तरबूज आपकी सेहत को खराब भी कर सकता है। दरअसल, तरबूज को गहरा लाल रंग का दिखाने के लिए इन्हें इंजेक्शन लगाकर बेचा जा रहा है। लोग लाल तरबूज की खरीदारी अधिक करते हैं। तरबूज खाने के बाद स्वास्थ्य बिगडऩे के कई मामले सामने आ रहे हैं। सामान्य अस्पताल के साथ ही निजी क्लीनिकों पर फूड प्वाइजनिंग, पेट दर्द, उल्टी, दस्त के रोगी अधिक आ रहे हैं। इसमें कोई दोराय नहीं कि शहर में ये इंजेक्टिड तरबूज खाद्य विभाग की सरपरस्ती में ही खुलेआम बेचे जा रहे हैं।
बता दें कि तरबूज में 92 फीसदी पानी होता है इसलिए गर्मी में इसका सेवन काफी फायदेमंद माना गया है। तरबूज के सेवन से शरीर में पानी की आपूर्ति तो होती ही है, साथ ही मीठा होने के कारण यह स्वाद की पूर्ति भी करता है। लेकिन इस स्वाद के चक्कर में आप अपनी सेहत खराब न कर बैठें। शहर में कई स्थानों पर जांच करने पर पता चला कि तरबूज तो बाजार में कहीं है ही नहीं। तरबूज के नाम पर मतीरा बिक रहा है। मतीरा देखने में गहरे हरे रंग का और तरबूज के आकार से छोटा होता है। तरबूज से सस्ता भी मिलता है। जब कई दुकानदारों से इस बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि तरबूज मंडी में ही नहीं आ रहा। मतीरा मिल रहा है तो उसे ही बेच रहे हैं। जब इनके इंजेक्टिड होने के बारे में जानना चाहा तो उन्होंने इस बारे में अनभिज्ञता जाहिर की। खाद्य विभाग अधिकारियों द्वारा चेकिंग करने के बारे में पूछने पर उन्होंने हंसकर टाल दिया। इससे स्पष्ट जाहिर होता है कि खाद्य विभाग गहरी नींद में सोया हुआ है और बाजार में बिक रहे विषैले खाद्य पदार्थों की जांच करने में कोताही बरत रहा है। इसमें विभाग की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता। इस संबंध में जिला फूड इंस्पेक्टर सुनील सैनी से फोन पर संपर्क साधना चाहा तो उनसे बात नहीं हो सकी।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि तरबूज या किसी भी फल को समय से पहले तोडक़र मार्केट में भेज दिया जाता है। फलों की बिक्री बढ़ाने के लिए उनके साइज, रंग, स्वाद को अच्छा करने के लिए कई खतरनाक केमिकल इस्तेमाल किए जा रहे हैं। तरबूज में भी इंजेक्शन लगाकर इनकी लाली और स्वाद बढ़ाया जाता है। इंजेक्टिड तरबूज खाने से पेट दर्द, उल्टी, दस्त हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार अगर तरबूज इंजेक्टेड है, तो यह चारों तरफ से दिखने में एक जैसा होगा। इसका मतलब उसे आर्टिफिशियल तरीके से हरा किया गया है। अगर तरबूज पर ऊपर से हरे रंग का वैक्स लगाया गया है, तो सिरका (विनेगर) का इस्तेमाल करके देख सकते हैं। सिरके से वैक्स या रंग निकलने लगेगा। तरबूज जिस डंठल के जरिए बेल से जुड़ा होता है, वो तरबूज के नैचुरल तरीके से पकने के बाद तोड़े जाने पर काली या सूखी पड़ जाती है। अगर तरबूज में इंजेक्शन लगाया गया है, तो वह डंठल हरी ही दिखेगी। तरबूज के अंदर के एक टुकड़े को काट कर पानी के बर्तन में डालिए और थोड़ी देर के लिए छोड़ दीजिए। नकली तरीके से लाल किए गए तरबूज को पानी में डालने से पानी का रंग हल्का गुलाबी या लाल हो जाएगा।