बीकानेर। जेनरिक की बजाए ब्रांडेड दवाइयां खरीदकर सरकार को पांच करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान पहुंचाने का मामला सामने आया है। सहकारी उपभोक्ता होलसेल भंडार के अधिकारी-कर्मचारियों ने आपसी मिलीभगत से पेंशनर्स को मिलने वाली दवाइयां जेनरिक ना खरीदकर महंगी ब्रांडेड खरीदी, जिससे सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ। भ्रष्टाचार निरोधाक ब्यूरो ने घोटाला करने के आरोप में मेडिकल कॉलेज के अतिरिक्त प्राचार्य, होलसेल भंडार के तत्कालीन महाप्रबंधक सहित छह अधिकारी-कर्चारियों व अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। बीकानेर चौकी के एएसपी रजनीश पूनिया ने बताया कि पेंशनर्स को देने के लिए जेनरिक दवाइयां ना खरीदकर महंगी ब्रांडेड दवाइयां खरीदने और डॉक्टर्स की ओर से ब्रांडेड दवाइयां ही लिखने की शिकायत मिली थी। ब्यूरो ने होलसेल भंडार का रिकार्ड जप्त कर संबंधित लोगों से छानबीन की। वर्ष, 14-15 से 16-17 तक तीन साल के रिकॉर्ड की गहनता से जांच-पड़ताल कर संबंधित लोगों से पूछताछ की तो सामने आया कि सरकार की ओर से पेंशनर्स को देने के लिए जेनरिक दवाइयां खरीदने के आदेश हैं, लेकिन होलसेल भंडार के अधिकारी-कर्मचारियों ने मिलीभगत ब्रांडेड दवाइयां खरीदी। ब्रांडेड दवाइयां भी वो, जो सबसे ज्यादा महंगी हैं। तीन सालों में ही सरकार को पांच करोड़ रुपए से ज्यादा के नुकसान का अनुमान है। सरकारी अस्पताल के डॉक्टर्स को जेनरिक दवाइयां लिखने के निर्देश हैं, लेकिन जांच में पता चला है कि मेडिकल कॉलेज के अतिरिक्त प्राचार्य डॉ. एल. ए. गौरी ने मरीजों को बार-बार महंगी ब्रांडेड दवाइयां लिखीं। ब्यूरो मुख्यालय ने डॉ. गौरी, होलसेल भंडार के तत्कालीन महाप्रबंधक मनमोहन सिंह यादव, तत्कालीन स्टोर कीपर अनिल गुप्ता, विनोद गौड़, लिपिक रामकुमार बिस्सा, मेडिकल सुपरवाइजर बजरंग महात्मा व अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।