अंबाला: जी लैबोरेट्री लिमेटड नाम से बिना अनुमति के 19 उत्पाद बनाने वाले एस डी फार्मा केम को सरकारी आदेशों पर रंगे हाथों उस समय धर  दबोचा  जब जी लैब के नाम से फाइनल पैकिंग हो रही थी। जी लैबोरेट्री के दिल्ली स्थित मुख्य कार्यालय को सूचना मिली कि उनकी कंपनी के उत्पाद हिमाचल के एक्साइज फ्री जोन में न केवल बन रहे हैं बल्कि दूसरे प्रदेश में धड़ल्ले से बिक भी रहे हैं।
इस गोरखधंधे को अंजाम देने वालों को सबक सिखाने के लिए करीब 6 माह का समय लग गया। माननीय न्यायालय से आदेश मिलते ही अधिवक्ता अरुण को रेड मारने के लिए कमिश्नर बनाकर टीम तैयार की गई जिसमें धर्मपुर पुलिस की भी अहम भूमिका रही।
जैसे ही टीम ने कुम्हारहट्टी क्षेत्र में विवादित स्थल पर छापा मारा तो टीम को उम्मीद से अधिक  अनियमितताएं मिली। जी लैबोरेट्री की बिना अनुमति वाली भारी मात्रा में दवाइयां पुणे भेजने के लिए फाइनल तैयारी की प्रक्रिया में थी। कुल 19 प्रकार की दवाइयां मौके से पकड़ी गई। काफी समय पहले हिमाचल औषधि नियंत्रक कार्यालय से एमजी फार्मा नाम से लाइसेंस जारी हुआ था। कंपनी के निर्देशकों ने इसे एस डी फार्मा केम को एक करार के माध्यम से सौंप दिया लेकिन एस डी फार्मा केम का औषधि प्रशासन रिकॉर्ड में कोई कागज नहीं था। न ही कोई उत्पाद बनाने की अनुमति ही विभाग से ली गई थी। ऐसे में प्रदेश औषधि नियंत्रक कार्यालय की कार्यकुशलता पर भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर लंबे समय से चल रहे इस गोरखधंधे की भनक क्यों नहीं लगी। सूत्रों की मानें तो इस तरह के कारोबार ड्रग विभाग से सेटिंग कर दिन-दोगुनी-रात चौगुनी तरक्की कर रहे हैं।