पटना। दवा दुकान पर फार्मासिस्ट की अनिवार्यता के खिलाफ राज्य के दुकानदार आज अपने-अपने जिले के डीएम को ज्ञापन देंगे। इसके बाद 16 अगस्त से सभी खुदरा दवा विक्रेता से दवाओं की खरीदारी को बंद रखेंगे। 1 सितंबर से राज्य के सभी खुदरा और थोक विक्रेता अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। दुकानदारों ने सरकार से मांग की है कि जिन दुकानों में फार्मासिस्ट नहीं हैं, उनके लिए स्पष्ट निर्देश जारी करे। उनका कहना है कि हर दुकान में एक निबंधित फार्मासिस्ट की अनिवार्यता का नियम लागू करना अव्यावहारिक है। बिहार में फार्मेसी काउंसिल करीब 8000 फार्मासिस्ट होने का दावा करती है। हालांकि सक्रिय रूप से करीब 6500 फार्मासिस्ट ही राज्य में सेवा दे रहे हैं। इनमें से करीब 2200 निजी और सरकारी अस्पताल के अलावा अन्य में कार्यरत हैं। राज्य में खुदरा दुकानों के लिए करीब 4200 फार्मासिस्ट ही हैं। जबकि खुदरा दुकानों की संख्या 28 हजार से अधिक है। बिहार केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अनुसार बिहार में करीब 30 करोड़ की दवाएं हर दिन बिकती हैं और 800 करोड़ का मासिक कारोबार है। यहां से दवाएं यूपी, झारखंड समेत दूसरे राज्यों में जाती हैं। बिहार में राजस्व का एक बड़ा हिस्सा दवा कारोबार से आता है। बिहार केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष परसन कुमार सिंह का कहना है कि हम फार्मेसी एक्ट के इन नियमों के विरोध में नहीं हैं। हम चाहते हैं कि सरकार पहले फार्मासिस्ट की उपलब्धता सुनिश्चित करे। अगर अचानक से ऐसा किया गया तो पूरे राज्य में दवा दुकानों की संख्या 5000 के अंदर ही सीमित हो जाएंगी। सूदूर गांव-देहात तो क्या शहरों में भी दवा की उपलब्धता चुनौती बन जाएगी।