बद्दी (हिमाचल प्रदेश)। प्रदेश के छह दवा उद्योगों में बनी दवाइयांं जांच में अमानक मिली हैं। इन दवाओं में हाई बीपी, संक्रमण, गैस्ट्रिक, अनिंद्रा के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवाएं व इंजेक्शन शामिल हैं। इसके अलावा देश के विभिन्न राज्यों के 18 दवा उद्योगों में निर्मित दवाएं भी केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की जांच में अमानक पाई गई हैं। गौरतलब है कि सीडीएससीओ ने बीते माह देश के अलग-अलग राज्यों के 25 उद्योगों में निर्मित 843 दवाओं के सैंपल जांच को लिए। इनमें से 817 दवाएं गुणवत्ता मानकों पर खरी उतरी हैं, जबकि 26 दवाएं अधोमानक पाई गई हैं। इनमें हिमाचल प्रदेश के छह दवा उद्योगों में निर्मित दवाएं भी शामिल हैं, जिनका निर्माण पांवटा साहिब, कालाअंब व बद्दी में हुआ है। राज्य दवा नियंत्रक ने ड्रग अलर्ट में शामिल दवा उद्योगों को नोटिस जारी करते हुए संबंधित दवाओं का पूरा बैच बाजार से तत्काल उठाने के निर्देंश जारी किए हैं। बता दें कि देशभर में परीक्षण के दौरान गुणवत्ता मानकों पर खरा न उतरने वाले दवा उत्पादों के इस्तेमाल से आम जनता को रोकने के लिए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन हर महीने ड्रग अलर्ट जारी करता है। इसी कड़ी में सीडीएससीओ द्वारा जारी जून के ड्रग अलर्ट में देश के विभिन्न राज्यों के 25 दवा उद्योगों में निर्मित दवाओं के सैंपल जांच में सबस्टैंडर्ड पाए गए हैं। राज्य ड्रग कंट्रोलर नवनीत मारवाहा ने बताया कि जो दवाइयां सबस्टैंडर्ड मिली हैं, उनमें सीडीएससीओ के जून के ड्रग अलर्ट में प्रदेश के दवा उद्योगों में निर्मित पैंटोप्राजोल इंजेक्शन, अल्प्राजोलम 0.5 एमजी टैबलेट, ड्रोटावेराइन, टेल्मिसर्टन, अमोक्सिसिलिन और पोटाशियम कलवीनेट, नियोमाइसिन सल्फेट, पोनीमाईजिन बी सल्फेट और बैक्ट्रासीन जिंक पाउडर शामिल हैं।