लखनऊ। केजीएमयू में अब स्वाइन फ्लू की जांच के साथ यह भी पता चल सकेगा कि मरीज पर दवा का कितना असर होगा। अभी जांच रिपोर्ट में सिर्फ स्वाइन फ्लू की पुष्टि होने या न होने के बारे में बताया जाता है। दवा के असर के बारे में सिर्फ डॉक्टर से पूछने पर बताया जाता है, लेकिन अब यह जानकारी रिपोर्ट में भी दी जाएगी।
माइक्रोबायॉलोजी विभाग की डॉ. सुरुचि शुक्ला के अनुसार, स्वाइन फ्लू ए और बी दो प्रकार का होता है। ए की चार सब-कैटिगरी होती है। इसमें एच1 एन1 एच3 और एन2 शामिल है। बी में विक्टोरिया और यामागाटा सब-कैटिगरी होती है। अब तक जांच में सिर्फ स्वाइन फ्लू और उसकी कैटिगरी का जिक्र होता था। हालांकि, स्वाइन फ्लू की तीव्रता अधिक होने पर टेमीफ्लू का असर न होने की बात सामने आ रही है। इसे देखते हुए रिपोर्ट में बताया जाएगा कि टेमीफ्लू असर करेगी या नहीं। वर्तमान में इसकी जानकारी केवल डॉक्टर के पूछने पर दी जाती है। हालांकि अब सभी पीडि़तों की रिपोर्ट में दवा के असर की जानकारी देने के लिए शासन से अनुमति मांगी गई है।
केजीएमयू ने स्वाइन फ्लू और उसकी तीव्रता की जांच करने का प्रशिक्षण दूसरे संस्थानों को भी दिया जा रहा है। यहां हुई वर्कशॉप में कई संस्थानों के 27 प्रतिनिधियों को ट्रेनिंग दी गई। विभागाध्यक्ष डॉ. अमित जैन ने बताया कि पूरे प्रदेश में स्वाइन फ्लू पीडि़तों की जांच का भार केजीएमयू पर ही है। इसे कम करने के लिए ही दूसरे संस्थानों को जानकारी दी जा रही है। रिसर्च साइंटिस्ट दानिश खान और शांतनु प्रकाश ने वर्कशॉप में ट्रेनिंग दी।