जयपुर: महीने की शुरुआत में शहर के रेल नगर स्थित कमला एंटरप्राइजेज के गोदाम से 60 लाख रुपए की दवाएं पकडऩे के बाद प्रदेश के दवा प्रबंधन ने 15 जिलों से 350 दवाओं के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे थे। इनमें से 29 दवाओं की रिपोर्ट में जो सच आया है, उससे दवा जगत में हलचल मच गई। सभी दवाएं नकली मिली हैं। दवा के नाम पर मात्र 7 प्रतिशत कंटेंट मिला। रिपोर्ट के मुताबिक, सिफेक्सिन में 0 और ओ-फ्लोक्सेसिन दवा में 7 प्रतिशत कंटेंट मिले। ये दोनों दवा एंटीबायोटिक है।
हैरानी इस बात को लेकर भी है कि ड्रग प्रबंधन की ओर से अब तक एफआईआर दर्ज क्यों नहीं कराई गई। छापेमारी के तीन सप्ताह बाद भी असल गुनहगार पकड़ से बाहर बताए गए हैं। कार्रवाई के दौरान उत्तराखंड के रुडक़ी की फार्मा लिंकर्स, विजमेड, डर्मासेफ फार्मास्यूटिकल कंपनी के नाम सामने आए जिनमें दवाओं का निर्माण होना बताया गया। लेकिन छानबीन में ऐसी कोई दवा कंपनी मौके पर नहीं मिली। ड्रग कंट्रोलर उत्तराखंड ने भी इन नामों से रिकॉर्ड में किसी दवा कंपनी का नाम दर्ज होने से साफ इनकार दिया। उन्होंने कहा कि इन नामों से कोई ड्रग लाइसेंस भी जारी नहीं हुआ है।
दवा के नाम पर लालच के इस व्यापार की जड़े आस-पास के कई राज्यों से जुड़ी हैं, जिनमें हरियाणा, उत्तराखंड, यूपी, एमपी, छत्तीसगढ, कर्नाटक के नाम सामने आए हैं। सभी राज्यों के ड्रग कंट्रोलर को अलर्ट कर दिया गया है। अब तक उत्तराखंड के 15 जिलों से पौने 2 करोड़ की दवाएं जब्त की गई हैं।