रीवा (मप्र)। दवा के थोक व्यापार का लाइसेंस बनाने के लिए दस हजार रुपए रिश्वत लेने के मामले में गिरफ्तार तत्कालीन ड्रग इंस्पेक्टर सहित तीन आरोपियों को कोर्ट ने चार साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। मामले के अनुसार रतहरा निवासी नारायण प्रसाद मिश्रा से रिश्वत मांगने पर 11 मार्च 2013 को लोकायुक्त की टीम ने ड्रग इंस्पेक्टर मुकेश हेडाऊ को दस हजार रुपए रिश्वत लेते पकड़ा था। इस मामले में लिपिक एआर खान एवं भृत्य मोहनलाल भी आरोपी बनाए गए थे। प्रकरण की विवेचना पूरी होने पर 15 दिसम्बर 2015 को न्यायालय में चालान पेश किया गया था। न्यायालय ने इस प्रकरण की सुनवाई करते हुए अपना निर्णय सुनाया। विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम रीवा के न्यायालय से आरोपी मुकेश हेडाऊ ड्रग इंस्पेक्टर को धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में तीन वर्ष का सश्रम कारावास एवं दो हजार रूपए के अर्थदण्ड की सजा सुनाई गई है। जबकि धारा 13 (1) डी सहपठित 13 (2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में चार वर्ष के सश्रम कारावास एवं दो हजार रुपए के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। वहीं, आरोपी लिपिक एआर खान एवं भृत्य मोहनलाल को धारा 12 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 व 120 बी भारतीय दण्ड विधान में 3-3 वर्ष के सश्रम कारावास व दो-दो हजार रूपए के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया है।