चेन्नई। मद्रास हाईकोर्ट ने चिकित्सकों को दवाओं के प्रमोशन के लिए कमीशन देने की बात पर स्वत: संज्ञान लिया है। कोर्ट ने फार्मा कंपनियों की ओर से मरीजों की जान की परवाह किए बिना इस तरह के घिनौने खेल पर एतराज जताया है। न्यायाधीश एन. किरुबाकरन एवं न्यायाधीश पी. वेलमुरुगन की खंडपीठ ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय, राष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल प्राइजिंग अथॉरिटी एवं मेडिकल कौंसिंल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी कर नियमों का उल्लंघन करने वाले चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। पिछले पांच साल में स्वास्थ्य सेक्टर उद्योग व फार्मास्यूटिकल कंपनियों से उपहार, यातायात सुविधा, नकदी एवं अन्य सुविधाओं का लाभ उठाने वाले चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। फोटर््स इंडिया लैब्स प्राइवेट लिमिटेड के आयकर मूल्यांकन को चुनौती दी गई जिसमें दवाओं को प्रमोट करने के लिए चिकित्सकों को कमीशन देने की बात शामिल थी। इसके बारे में न्यायालय ने साफ कहा कि कानूनन इस तरह का कार्य अपराध की श्रेणी में आता है। फार्मास्यूटिकल कंपनियां दवा को प्रमोट करने के लिए चिकित्सकों को उपहार, नकदी एवं अन्य कीमती चीजें दे रही है। न्यायालय ने कहा कि चिकित्सकों का यह कार्य किसी भी दृष्टि से उचित नहीं कहा जा सकता। न्यायालय ने वर्ष 2009 के बाद जिन चिकित्सकों को दवा प्रमोट करने के लिए कमीशन दिया गया, उनकी सूची उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। हाईकोर्ट ने आयकर में इस मद के तहत छूट के लिए आवेदन करने वाली दवा कंपनियों की संख्या के बारे में भी पूछा है, वहीं फार्मा के लिए अलग से मंत्रालय के गठन को कहा है।