योगी राज में सरकारी अस्पताल के दवा सैंपल फेल, मरीज बेहाल
बदायूं (उत्तर प्रदेश): जिले के सरकारी पुरूष अस्पताल में दवाओं का सैंपल फेल होने से राज्य के स्वास्थ्य सिस्टम पर एक बार फिर सवालिया निशान लग गया। ऐसा तब हो रहा है जब राज्य की कमान एक कर्मयोगी मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के हाथ में हैं, जिसने अफसरों को चौबीस घंटे सिस्टम पर निगरानी रखने की हिदायत दे रखी है। अस्पताल में भारी संख्या में गोलियां इस्तेमाल योग्य नहीं रही।
अस्पताल शासन के निर्देश पर सिट्राजिन टैबलेट कार्यदायी संस्था से खरीदी थी। इस दवा की जिला अस्पताल ने 13 अप्रैल, 2016 में बिलिंग कराई गई थी जिसमें दस लाख गोली सिट्राजिन की खरीद दिखाई गई। इसमें एल पांच 037 बैंच तथा एल पांच 038 बैच की दवा खरीदी गई थी। पहले बैच 037 की टेबलेट सिट्राजिन का नमूना फेल हो गया है। इसके बाद 30 नवंबर को जिला औषधि निरीक्षक ने जिला अस्पताल में पहुंचकर कई दवाओं के सैंपल भर कर लैब रिपोर्ट भेजे। बीते दिन लैब से रिपोर्ट आने के बाद औषधि विभाग द्वारा सीएमएस को पत्र जारी कर रिपोर्ट दी गई है कि बीके सिटराजन के सैंपल फेल है।
विभागीय अधिकारियों की मानें तो टैबलेट ठीक हैं लेकिन टैबलेट की पैकिंग पर जो मानक लिखें हैं वह नियम विरुद्ध हैं। इधर अस्पताल के स्टोर इंचार्ज इंतियाज अहमद कहते हैं कि दस लाख टैबलेट लगभग दस लाख रुपये की खरीदी गई थी। जिसमें से केवल 99 हजार टैबलेट बची हैं और इसके लिए कार्यदायी संस्था तथा शासन को पत्र लिखकर सूचित किया जा चुका है ताकि दवा कंपनी से बदलवाई जा सकें।
अस्पताल शासन के निर्देश पर सिट्राजिन टैबलेट कार्यदायी संस्था से खरीदी थी। इस दवा की जिला अस्पताल ने 13 अप्रैल, 2016 में बिलिंग कराई गई थी जिसमें दस लाख गोली सिट्राजिन की खरीद दिखाई गई। इसमें एल पांच 037 बैंच तथा एल पांच 038 बैच की दवा खरीदी गई थी। पहले बैच 037 की टेबलेट सिट्राजिन का नमूना फेल हो गया है। इसके बाद 30 नवंबर को जिला औषधि निरीक्षक ने जिला अस्पताल में पहुंचकर कई दवाओं के सैंपल भर कर लैब रिपोर्ट भेजे। बीते दिन लैब से रिपोर्ट आने के बाद औषधि विभाग द्वारा सीएमएस को पत्र जारी कर रिपोर्ट दी गई है कि बीके सिटराजन के सैंपल फेल है।
विभागीय अधिकारियों की मानें तो टैबलेट ठीक हैं लेकिन टैबलेट की पैकिंग पर जो मानक लिखें हैं वह नियम विरुद्ध हैं। इधर अस्पताल के स्टोर इंचार्ज इंतियाज अहमद कहते हैं कि दस लाख टैबलेट लगभग दस लाख रुपये की खरीदी गई थी। जिसमें से केवल 99 हजार टैबलेट बची हैं और इसके लिए कार्यदायी संस्था तथा शासन को पत्र लिखकर सूचित किया जा चुका है ताकि दवा कंपनी से बदलवाई जा सकें।