मुंबई। अमेरिकी दवा बाजार में कीमतों में गिरावट की चिंता जल्द ही दूर होने की संभावना जताई गई है। भारतीय दवा कंपनियां पिछले चार वर्षों से कीमतों में कमी का दंश झेल रही हैं। अमेरिकी बाजार में दवा की किल्लत दिसंबर 2017 से बढ़ी है। एंटिक ब्रोकिंग के कुणाल रणदेरिया ने कहा कि दवाओं की किल्लत पांच साल में सबसे अधिक बढ़ी है। दवाओं की किल्लत और कीमतों के बीच सीधा संबंध है। इसका सबूत 2017 में मिला। उस समय कीमत में गिरावट सर्वोच्च स्तर पर थी, जबकि किल्लत सबसे कम थी। अमेरिकी खाद्य एवं दवा प्रशासन ने कहा कि दवाओं की किल्लत की मुख्य वजह विनिर्माण और गुणवत्ता की अड़चन हैं। अन्य वजह कच्चे माल की कमी और विनिर्माताओं का उत्पादों को बंद करना है। आधी दवाओं की किल्लत इंजेक्टेबल्स की है। आईआईएफएल के अभिषेक शर्मा और राहुल जीवानी का अनुमान है कि इसका फायदा अरबिंदो फार्मा जैसी कंपनियों को मिलेगा, जो आगे बहुत सी इंजेक्टेबल दवाएं उतारने जा रही हैं। दवाओं की किल्लत से एकल कंपनियों को मौके मिलते रहेंगे। उदाहरण के लिए एलंबिक फार्मास्यूटिकल्स और डीवीज लैबोरेटरीज को हाइपरटेंशन की दवा वल्सारटन में अच्छे मौके मिलेंगे। इस दवा की किल्लत प्रदूषकों की मौजूदगी के कारण कंपनियों द्वारा कई बार दवाएं वापस लेने से हुई थी। दवा किल्लत की एक अन्य वजह विनिर्माताओं के उत्पादों या श्रेणी से बाहर निकलना है। खरीदारों के कंसोलिडेशन, अमेरिकी दवा नियामक के उत्पादों को मंजूरी देने मेंं तेजी लाने और अनुपालना की अधिक लागत के कारण जेनेरिक उद्योग की अगुआ कंपनियों जैसे टेवा फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्रीज, मायलान और सैंडोज को कम कीमत और अलभाकारी उत्पादों को तर्कसंगत बनाया है। कोविड-19 की वजह से किल्लत और बढ़ी है। इससे भारतीय कंपनियों को अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी। एंटिक स्टॉक ब्रोकिंग का अनुमान है कि भारतीय जेनेरिक दवा कंपनियों को अमेरिका और यूरोपीय संघ को ज्यादा आपूर्ति करने से लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि अगर किल्लत बढ़ती है तो उन कंपनियों को भी छूट दी जा सकती है, जिनके संयंत्रों को लेकर चेतावनी जारी की गई है। इस क्षेत्र के लिए एक सकारात्मक कारक उन कंपनियों को मंजूरी दिया जाना है, जो यूएसएफडीए के विनिर्माण प्रक्रिया पर खरी नहीं उतरती हैं। पिछले कुछ सप्ताह के दौरान अरबिंदो फार्मा, ल्यूपिन, बायोकॉन और स्ट्राइड्स फार्मा साइंस के संयंत्रों को मंजूरी दी गई है। अमेरिकी दवा नियामक ने आईपीसीए की मलेरिया रोधी दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन सल्फेट की आपूर्ति को भी छूट दी है। पहले इस कंपनी के संयंत्रों के लिए आयात अलर्ट जारी किया गया था। इस महीने की मंजूरियां पिछले साल यूएसएफडीए द्वारा जारी 19 चेतावनी पत्रों के बिल्कुल विपरीत हैं। पिछले साल जारी चेतावनी पत्र उससे पहले के चार वर्षों में सबसे अधिक थे। इन संयंत्रों के अलावा दवा नियामक ने कई दवाओं को भी मंजूरी दी है। इनमें सिप्ला की अस्थमा की दवा एल्बुटेरोल भी शामिल है। वहीं डॉ. रेड्डीज, कैडिला हेल्थकेयर और एल्केम लैबोरेटरीज की दवाओं को भी मंजूरी दी गई है।