बेंगलुरु। फेसबुक के द्वारा जियो में किये गये निवेश के बाद लॉकडाउन के बीच तेजी से मुनाफे की तरफ पहुंची रिलायंस इंडस्ट्रीज लॉकडाउन के बीच ऑनलाइन फार्मेसी नेटमड्स के ज्यादा से ज्यादा शेयर खरीदकर हिस्सेदारी ले सकती है। जानकारों की मानें तो यह काम रिलायंस अपनी दूसरी कंपनी से कराएगी। इसकी वजह रिलायंस में इसका सीधा एंट्री न करना है। इतना ही नहीं इस कंपनी में कितने करोड रुपये लगाकर हिस्सेदारी ली जाएगी। इसको लेकर भी खुलासा हो चुका है। दोनों कंपनियों में 130 से 150 मिलियन की भारी भरकम रकम के साथ हिस्सेदारी हो सकती है। इस डील से रिलायंस इंडस्ट्रीज ई-कॉमर्स में बड़ा दांव खेल सकती है। सूत्रों के मुताबिक रिलायंस इंडस्ट्रीज इस डील को 13 से 15 करोड़ डॉलर में पूरी कर सकती है। इसके अलावा कंपनी के ऑपरेशन के विस्तार के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज अलग से भी पैसे डालेगी। यह काम रिलायंस अपनी दूसरी कंपनी से कराएगी। इसकी वजह रिलायंस में इसकी सीधी एंट्री नहीं करना है।  दरअसल, फार्मेसी कंपनी नेटमड्स की शुरुआत प्रदीप दाधा ने 2015 में की थी। सन फार्मास्युटिकल्स की डिस्ट्रीब्यूटरशीप लेने वाला सबसे पहला उनका परिवार ही था। इसी के बाद सन (Pharma Company) फार्मा द्वारा इसे अधिग्रहित कर लिया गया। दाधा परिवार ने द नेटमेड्स बैकर्स के साथ हेल्थकेयर, ओरमेड , एमएपीई एडवाइसर, सिसटेमा एशिया फंड और सिंगापुर बेस्ड डाउन पेनाह कंमबोडिया ग्रुप खडा किया। वहीं रिलायंस के प्रवक्ता ने कहा कि हमारी कंपनी एक निरंतर आधार पर विभिन्न अवसरों का मूल्यांकन करती है। किसी भी घटनाक्रम को सेबी के अनुसार, एक्सचेंजों की सूचित करेगा। उन्होंने कहा कि नेटमेड्स ने रिलायंस रिेटेल के साथ टाईअप किया है और इसके जरिए वह जरूरी सामानों जैसे ग्रॉसरीज आदि की सप्लाई करेगा। नेटमेड्स अपने रेवेन्यू का 90 प्रतिशत दवा बनाने में खर्च करता है। यह 1 एमजी, मेडलाइफ और फार्मेसी जैसे अन्य दवा वितरण प्लेटफार्मों के सामान को तैयार करता है।
मार्केट रिसर्च फर्म रेडसीर की रिपोर्ट के मुताबिक, कंसल्टेंसी और डायग्नोस्टिक्स समेत ई-फार्मा इंडस्ट्री करीब 1.2 अरब डॉलर की है। इसे पांच साल में करीब 16 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। जबकि 40 लाख से अधिक परिवार पहले से ही ऑन लाइन दवा खरीद रहे थे। अतः अब ज्यादा से ज्यादा लोग ऑनलाइन दवा खरीद रहे हैं। कोविड-19 से पहले इन उत्पादों की बिक्री 10-20 गुना तक थी। एक अन्य ई-फार्मा प्लेटफॉर्म के सीईओ ने कहा, “आर्डर वोल्युम अभी भी Covid-19 से पहले की तुलना में अधिक हैं। लेकिन आगे बढ़ते हुए हम बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए सप्लाई संबंधी समस्याएं और मैनपावर की कमी को देख रहे हैं।
रिलायंस और नेटमेड्स के बीच बातचीत कोरोनावायरस लॉकडाउन से पहले चल रही थी। नेटमेड्स वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली फ्लिपकार्ट के साथ भी बातचीत की थी। फार्मा सेक्टर में रिलायंस का यह दूसरा बड़ा कदम होगा। पिछले साल उसने बेंगलुरु स्थित सी-स्क्वायर इंफो सॉल्यूशंस में 82 प्रतिशत का अधिग्रहण कुल 82 करोड़ रुपये में किया था, जो फार्मा सेक्टर में डिस्ट्रीब्यूटर्स, रिटेलर्स और सेल्स फोर्स के लिए सॉफ्टवेयर बनाता है। कंपनी के कुछ क्लाइंट्स में अपोलो फार्मेसी, एकॉक इंगराम और अन्य खिलाड़ी शामिल हैं।
यह पहल रिलायंस के ऑनलाइन-टू-ऑफलाइन (O2O) कॉमर्स बिजनेस को बढ़ा रही है। इससे पहले फेसबुक ने रिलायंस के टेलीकॉम और डिजिटल सेवाओं के कारोबार जियो प्लेटफॉर्म्स में 9.99 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए 5.7 बिलियन डॉलर निवेश किया था।