शिमला। स्टेट विजिलेंस एन्ड एंटी करप्शन ब्यूरो ने स्वास्थ्य विभाग हिमाचल प्रदेश के निदेशक डॉ. अजय कुमार गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी देर रात की गई है। इसके बाद आरोपित की तबीयत बिगड़ गई। उसे आईजीएमसी अस्पताल में दाखिल कराया गया है। दरअसल, स्वास्थ्य विभाग में सामान की खरीददारी को लेकर एक ऑडियो क्लिप सामने आया है। इसमें दो व्यक्तियों के बीच स्वास्थ्य विभाग से जुड़े उपकरणों को लेकर संवाद हो रहा है। दोनों के बीच लाखों रुपयों की डील हुई। यह दावा किया जा रहा है कि 43 सेकंड के ऑडियो में स्वास्थ्य विभाग के निदेशक की आवाज़ है और वह सामान की आपूर्ति के एवज में 5 लाख रुपये की मांग कर रहे हैं। ऑडियो सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। राज्य सरकार ने विजिलेंस को मामले की जांच के आदेश दे दिए। विजिलेंस ने मामला दर्ज कर रात को ही निदेशक डॉ. अजय कुमार गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस महानिदेशक एस. आर.मरडी ने बताया कि लेन-देन से जुड़े ऑडियो मामले की पड़ताल के दौरान स्वास्थ्य विभाग के निदेशक को गिरफ्तार किया गया है। बीती रात पूछताछ का दौर 4-5 घण्टे चला, लेकिन निदेशक ने सहयोग नहीं किया और विशेष जांच दल को गुमराह किया। मामले में केस दर्ज कर आगामी कार्रवाई अमल में लाई जा रही है।

उल्लेखनीय है कि सिरमौर जिले के कालाअंब से ताल्लुक रखने वाले डॉ अजय गुप्ता अक्टूबर, 2018 में स्वास्थ्य विभाग के निदेशक बनाये गए थे।  गुप्ता इस माह की 31 तारीख को सेवानिवृत्त होने जा रहे थे, लेकिन उससे पहले ही गिरफ्तारी का ताेहफा मिला और उन्हें निलंबित कर दिया गया। चर्चा यह भी है कि डा. एके गुप्ता को एक्सटेंशन देने की भी सिफारिश सरकार से की गई थी। वे  चौथे स्वास्थ्य निदेशक हैं, जिनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठे हैं। 1997 में रहे स्वास्थ्य निदेशक केएस सोहल, सुखराम चौहान और केएस राणा की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए गए थे। डाॅ. गुप्ता की गिरफ्तारी के बाद सरकार ने संयुक्त निदेशक स्वास्थ्य डा. भारत भूषण कटाेच काे निदेशक का अतिरिक्त चार्ज साैंप दिया। सीएम जयराम ठाकुर ने कहा है- स्वास्थ्य विभाग के निदेशक के खिलाफ जांच चल रही है, गलत करने वालाें काे बख्शा नहीं जाएगा।

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विजिलेंस खंगाल रही है कोरोना बचाव सामग्री का डाटा  

कोरोना काल में स्वास्थ्य निदेशक रहे अजय कुमार गुप्ता की अगुआई में निदेशालय में 15 करोड़ की खरीदारी की गई है। दो करोड़ रुपये से तो वेंटीलेटर ही खरीदे गए। ऑडियो वायरल होने के बाद अब विजिलेंस इस खरीद का पूरा डाटा खंगाल रही है, दो माह की खरीदारी के दौरान स्वास्थ्य निदेशालय ने क्या-क्या सामान खरीदा। इस खरीद में वेंटीलेटर के अलावा पीपीई कीट, मास्क, सैनिटाइजर, दवाओं सहित उपकरण शामिल हैं। पहले लॉकडाउन के दौरान जब सब बंद था तो ऐसी स्थिति में कोरोना से निपटने के लिए लाखों का सामान ऐसे ही खरीदा गया था, जिसका कारण यह था कि उस दौरान सामान मिल भी नहीं रहा था और सबकुछ बंद पड़ा हुआ था। चारों लॉकडाउन के दौरान हुई खरीदारी के सभी तथ्यों को जांचा जा रहा है। स्वास्थ्य निदेशालय की ओर से की गई इस खरीद में कुल आठ कंपनियों से खरीदारी की गई है। इनकी खरीदारी की प्रक्रिया को जांचा जा रह है। आखिर निविदा प्रक्रिया की शर्तों को पूरा भी किया गया या ऐसे ही खरीदारी तो नहीं हुई। करोड़ों की खरीद के बाद सामान की आपूर्ति अस्पतालों को की गई। पीपीई कीट और सर्जिकल मास्क व एन 95 मास्क की खरीद करोड़ों रुपये की लागत से की गई है। कोरोना काल में खरीदी गई पीपीई किट पर स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सा अधिकारी संघ ने भी सवाल उठाए हैं। किट के निम्न स्तर होने के आरोप लगाए गए थे। स्वास्थ्य निरीक्षक रहे अजय कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में ही खरीद का काम किया गया है।