लुधियाना। राजस्थान में बैठकर पूरे देशभर में नशे का नेटवर्क चलाने वाले सरगना फार्मासिस्ट समेत तीन लोगों को लुधियाना पुलिस ने राजस्थान से गिरफ्तार किया है। इनके कब्जे से 4 करोड़ की 99 हजार 600 नशीले कफ सिरप और बाकी दवाइयां बरामद हुई हैं जो कि 830 डिब्बों में भरीं थी। वहीं, सरगना से करीब 12 फर्जी लाइसेंस और फर्जी बिल भी बरामद किए गए हैं। आरोपियों की पहचान जयपुर स्थित सीकर रोड के प्रेम रत्न, अलवर के अर्जुन देव और गुलशन कुमार के रूप में हुई है। इससे पहले लुधियाना के शिमलापुरी के रहने वाले रणजीत सिंह और साहनेवाल के रहने वाले दमनप्रीत सिंह को पुलिस ने 22 हजार गोलियों और 40 सिरप के साथ काबू किया था। इन्हीं की निशानदेही पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए सरगना को काबू किया। फिलहाल सभी आरोपी 7 दिन के पुलिस रिमांड पर हैं। इसकी जानकारी पुलिस कमिश्नर राकेश अग्रवाल, जॉइंट सीपी कंवरदीप कौर ने दी। 17 सितंबर 2020 को पुलिस को सूचना मिली थी कि साहनेवाल में एक स्विफ्ट कार में नशे की खेप लेकर सप्लाई करने के लिए घूम रहें है।

पुलिस ने आरोपी रणजीत सिंह और दमनप्रीत सिंह को गाड़ी समेत काबू कर लिया। जिनकी गाड़ी से 9 हजार नशीली गोलियां, 13 हजार कैप्सूल और 40 शीशियां बरामद हुई। पुलिस ने आरोपियों को अदालत में पेश कर रिमांड लिया। जिसमें उन्होंने आरोपी अर्जुन देव और गुलशन का नाम बताया, जोकि उन्हें दवाइयां सप्लाई करते थे। पुलिस ने 7 अक्टूबर को अलवर से दोनों आरोपियों को काबू कर लिया। जिन्होंने बताया कि वो जयपुर निवासी प्रेम रत्न के लिए काम करते हैं। फिर पुलिस उस तक पहुंची और उसे 99 हजार 600 नशीले सिरप समेत काबू कर लिया। प्रेम ने पुलिस को बताया कि तीन सालों में वह 50 करोड़ से ज्यादा की दवाइयां बेच चुका है।प्रेम रत्न के पिता महेश कुमार फार्मासिस्ट है। जिन्हें देखकर बीए के बाद प्रेम ने भी फार्मेसी की पढ़ाई की और लाइसेंस ले लिया। इस दौरान आरोपी ने बैन दवाइयां बेचनी शुरू कर दी। जिसके चलते 9 सितंबर 2020 को उसका लाइसेंस रद्द कर दिया गया। लेकिन आरोपी 30 सितंबर तक उसी रद्द लाइसेंस के नाम पर दवाइयां मंगवाता रहा।

जिस कंपनी से शीशी मंगवाता था, वो उसे 32 से 35 में बेचते था और आरोपी आगे उसे 100 रुपए में सप्लाई करता था। शातिर दिमागी प्रेम ने इस समय के दौरान एक दर्जन के करीब फर्जी लाइसेंस खुद स्कैनर की मदद से तैयार किए। जिसमें से कुछ नौकरों के नाम पर, कुछ रिश्तेदारों तो कुछ पड़ोसियों के नाम पर लाइसेंस तैयार कर लिये।उनके नाम पर ही नशीली दवाइयों की खेप मंगवाने लगा। आरोपी दवाइयां मंगवाने के बाद अपने गोदाम में नहीं बल्कि ट्रांसपोर्टरों के गोदामों में ही रखे रखता था, जिसके बाद वहीं से दवाइयां पूरे इंडिया में सप्लाई करवाता था। हर स्टेट के चार से पांच लोग उससे जुड़े थे, जोकि नशे को वहां तक पहुंचाते थे। इनमें राजस्थान का इलाका अर्जुन देव और गुलशन के पास था और पंजाब का रणजीत सिंह और दमनप्रीत सिंह के पास था। दवाइयों की सप्लाई देने के लिए आरोपी फर्जी बिलों का भी इस्तेमाल करता था। उसने खुद ही डेंटिस्ट समेत कई डाॅक्टरों के नाम दवाइयों के बिल काट रखे थे। उक्त सभी बिल जाली फर्मों के तैयार किए हुए है।