नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने फार्मा एवं मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्रीज के लिए प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेटिव्स स्कीम की शर्तों को आसान कर दिया है। अब मेडिकल डिवाइसेज और दवाओं के लिए कच्चा माल तैयार करने वाली कंपनियों के लिए पीएलआई स्कीम के तहत न्यूनतम निवेश जरूरत को घटा दिया गया है। सरकारी सूत्रों के हवाले से कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि केंद्र सरकार पीएलआई स्कीम को बेहतर बनाने के लिए इंडस्ट्री से लगातार फीडबैक ले रही है। फार्मास्युटिकल्स विभाग इस स्कीम को लागू कर रही है ताकि एक्टिस फार्मास्युटिकल्स इंनग्रिडिएंट्स के लिए चीन पर निर्भरता कम हो। इस स्कीम के ऐलान के समय सरकार ने पेनिसिलिन जी जैसी चार फर्मेन्टेशन-आधारित थोक दवाओं के निर्माताओं के लिए 400 करोड़ रुपये की आधार सीमा निर्धारित की थी। 37 अन्य थोक दवाओं के निर्माताओं के लिए 20-50 करोड़ रुपये की आधार सीमा निर्धारित की थी। इसके अलावा तीन साल तक के लिए मेडिकल डिवाइस प्लांट्स के लिए यह आधार सीमा 180 करोड़ रुपये था। इसके अलावा PLI स्कीम के तहत आवेदन करने वाली कंपनियों के लिए अंतिम तारीख को बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 कर दिया गया है। सरकार की तरफ से यह डेडलाइन नियमों में बदलाव के बाद दिया गया है। पिछले सप्ताह ही नीति आयोग के प्रमुख अमिताभ कांत, फॉर्मास्युटिकल्स विभाग के अधिकारियों और अन्य सरकारी विभागों की एक बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी। सरकार ने 10 प्रोडक्ट्स के सालाना न्यूनतम उत्पादन की शर्तों में भी बदलाव किया है. इसमें टेट्रासाइक्लिन, नियोमाइसिन, पैरा अमिनो फिनॉल यानी पीएपी, मेरोपेनेम, आर्टेसुनेट, लोसार्टन, टेल्मिसार्टन, एसाइक्लोविर, सिप्रोफ्लोक्सासिन और एस्पिरिन है. इस स्कीम के तहत सालाना उत्पादन क्षमता भी योग्यता के लिए एक शर्त है।