फीरोजाबाद। देश में महंगाई आसमान छू रही है। दूसरी चीजों के साथ – साथ अब दवा के दाम भी बढ़ गए है। बता दें कि 10 से 25 फीसद तक दवा की कीमतें बढ़ी है। गौरतलब है कि दवाओं के निर्माण में प्रयोग होने वाले कच्चे माल और डीजल की कीमत वृद्धि ने इलाज को महंगा बना दिया है। खांसी हो या बीपी-शुगर, अधिकतर मर्ज की दवाएं महंगी हो गई हैं। कीमतें 10 से 25 फीसद तक बढ़ने से रोगियों और उनके स्वजन की जेब हल्की हो रही है।

फीरोजाबाद संगठन मंत्री, केमिस्ट एसोसिएशन -संजय गुप्ता खाद्य पदार्थ ही नहीं दवाओं की कीमतें भी बढ़ी हैं। इसका कारण कच्चे माल और डीजल के रेट में इजाफा होना है। डीजल के रेट बढ़ने से ट्रांसपोर्टेशन बढ़ा है। इसका भी असर दवाओं की कीमतों पर पड़ रहा है। गौरतलब है कि दवाओं के निर्माण में प्रयोग होने वाला अधिकतर कच्चा माल चीन से मंगाया जाता है। पिछले साल कोरोना काल और सीमा विवाद को लेकर भारत-चीन के संबंधों में आई तल्खी की वजह से दवाओं के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल की आपूर्ति बाधित है।

इसके अलावा डीजल के रोजाना बढ़ते दाम ने ट्रांसपोर्टेशन को महंगा बना दिया है। इसका असर दवाओं की कीमतों पर पड़ रहा है। कंपनियों ने कीमतों में इजाफा किया है। दवा कारोबारी सुनील कुमार और ओम गर्ग ने बताया कि नवंबर के बाद से दवाओं की कीमतें बढ़ने का सिलसिला शुरू हुआ था। दर्द की दवाएं हों या ब्लड प्रेशर, शुगर, खांसी आदि बीमारियां सभी की दवाएं महंगी हुई है।