चतरा। सदर अस्पताल की व्यवस्था दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। बल्कि यूं कहें कि यहां की सारी व्यवस्था भगवान भरोसे है। इसके लिए मुख्य रूप से अधिकारी जिम्मेदार हैं। यहां इलाजरत मरीजों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही है। कॉटन से लेकर पट्टी तक यहां पर उपलब्ध नहीं है। तो वहीं दूसरी तरफ प्रभारी सिविल सर्जन – डा. रंजन सिन्हा ने बताया कि दस दिनों के भीतर एंटी स्नेक वेनम व दूसरी अन्य दवाइयां उपलब्ध करा दी जाएगी। विभाग को पत्र लिखा गया है। स्वास्थ्य विभाग भले ही बड़े-बड़े दावा कर रहा हो, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण सांप काटने पर इलाज के लिए दी जाने वाली एंटी स्नेक वेनम भी विभाग के पास मौजूद नहीं है। इसका टोटा सदर अस्पताल के साथ-साथ अन्य सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में है।
वो भी एक या दो सप्ताह ने नहीं, बल्कि पूरे एक माह से इंजेक्शन खत्म है। मरीज बाजार से इंजेक्शन तलाश कर लगवा रहे है। यहां बता दें कि गर्मी और बरसात के दिनों प्रतिदिन दर्जनों लोगों को सांप के काटने की घटनाएं सामने आती हैं। किसी को साप डसता है तो उसे एंटी स्नैक वेनम इंजेक्शन लगाया जाता है। जहर से लोगों की मौत न हो इसलिए सरकार अस्पतालों को इंजेक्शन की सप्लाई कर देती है, लेकिन पिछले एक माह से इंजेक्शन की सप्लाई नहीं हुई है। बता दें कि जीवन रक्षक दवाइयों की कमी तो महीनों से है। ऐसा नहीं है कि दवा मद में आवंटन नही है। सरकार ने दस लाख रुपये का आवंटन दे रखा है। लेकिन उसके बाद भी दवाईयों का क्रय नहीं हुआ है।
यदि 31 मार्च से पहले क्रय नहीं हुआ, तो आवंटन मद की राशि लैप्स कर जाएगी। करीब चार महीनों से दवाइयों की कमी का दंश झेलना पड़ रहा है। इतना ही नही आपातकालीन दवाइयां जैसे बैंडेज, कॉटन, बेटादिन, सिरिज, नीडल, थ्रेड, प्लास्टर पेरिस, ग्लब्स भी खत्म हो गया है। बच्चे का दस्त, बड़े व बच्चे का खांसी की सिरप सहित कई जरूरी दवाएं महीनों से गायब चल रही हैं। खास बात यह है कि बच्चों के पीने का सीरप मेट्रोजिल तक गायब है। दवाइयों के अभाव में मरीजों को बाहर से दवा खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है। बता दें कि मौजूदा समय में सदर अस्पताल की रोजाना करीब तीन से चार सौ मरीजों की ओपीडी चल रही है। जिसमें अधिकतर बच्चे होते हैं।
जिन्हें दस्त की समस्या ज्यादा हो रही है। जिसमें दस्त की मेट्रोजिल व उल्टी की डेमोपेरीडान शामिल हैं, जो अस्पताल से बिल्कुल नदारद हैं। इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। 31 मार्च से पूर्व आवंटित राशि खर्च नही हुई, तो सारा पैसा लैप्स हो जाएगा। लोगों का कहना है कि सदर अस्पताल अधिकारी व प्रबंधन की लापरवाही की वजह से सदर अस्पताल रेफरल अस्पताल बन गया है। यहां बर्न मरीज, जख्मी मरीज, मलेरिया, डेंगू सहित विभिन्न रोग से ग्रसित मरीजों को एक साथ इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कर दिया जाता है। मरीजों के लिए समुचित रूप से चेयर व स्ट्रेचर की भी व्यवस्था नहीं है।