नई दिल्ली। भारत में कोरोना की दूसरी लहर ने भय़ानक तबाही मचाई.. हालांकि अब कोरोना के केसेस कम हुए हैं लेकिन अब भी मौतों की संख्या कम नहीं हुई है जो चिंताजनक है। इन सब के बीच पूरे देश में केंद्र सरकार ने 1 मई से 18 से अधिक उम्र के लोगों के वैक्सीनेशन को मंजूरी दे दी। लेकिन वैक्सीन की किल्लत की वजह से की कई राज्यों में 18 प्लस का वैक्सीनेशन या तो देर में शुरू हुआ या बीच में ही प्रभावित हो गया। इसी बीच ‘कोविशील्ड’ बनाने वाली पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के कार्यकारी निदेशक सुरेश जाधव ने मोदी सरकार पर बड़ा आरोप लगया है।
जाधव ने कहा कि सरकार ने वैक्सीनेशन अभियान के विस्तार के दौरान वैक्सीन के उपलब्ध स्टॉक और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की गाइडलाइंस को ध्यान में नहीं रखा। न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, स्वास्थ्य से संबंधित एक आयोजित ई-सम्मलेन के दौरान बोलते हुए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक ने कहा, “सरकार ने सभी आयुवर्ग के लोगों वैक्सीनेशन की इजाजत दे दी, ये देखे बिना की कितनी वैक्सीन की उपलब्धता है और क्या डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन्स हैं।”
जाधव ने कहा “शुरुआत में 300 मिलियन लोगों को वैक्सीन दी जानी थी जिसके लिए 600 मिलियन डोज की जरूरत थी। लेकिन जबतक हम टारगेट तक पहुंचते, सरकार ने पहले ही 45 साल से ऊपर के सभी लोगों और 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए टीकाकरण शुरू कर दिया। जबकि सरकार को भी पता था कि हमारे पास वैक्सीन का इतना स्टॉक नहीं है।”
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक ने कहा “यही सबसे बड़ा सबक है, जो हमने सीखा कि हमें उत्पाद की उपलब्धता को ध्यान में रखना चाहिए और उसका न्यायसंगत तरीके से इस्तेमाल करना चाहिए।”
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की एक रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 से निपटने के लिए देश की पूरी आबादी के टीकाकरण पर 3.7 लाख करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। यह लागत जून तक राज्यों में होने वाले लॉकडाउन से 5.5 लाख करोड़ रुपये के संभावित आर्थिक नुकसान से कम होगा।
रिपोर्ट के मुताबिक “अगर हम अलग-अलग मूल्य श्रेणियों जैसे 5 डॉलर, 10 डॉलर, 20 डॉलर, 30 डॉलर और 40 डॉलर को देखते हुए रुपये डॉलर की 73 की विनिमय दर से एक सामान्य हिसाब निकालते हैं, और कल्पना करते हैं कि केंद्र सरकार कुल आबादी में 50 प्रतिशत को टीके देती है तो विभिन्न राज्यों की शेष 50 प्रतिशत आबादी के टीकाकरण में सिक्किम को 0.2 अरब रुपये (5 डॉलर प्रति खुराक के हिसाब से) और उत्तर प्रदेश को 671 अरब रुपये (40 डॉलर प्रति खुराक के हिसाब से) खर्च होंगे।
हालांकि, यह चरम स्थिति में होगा और हर राज्य में टीकाकरण की लागत अलग होगी। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अगर हम इस परिदृश्य के हिसाब से विश्लेषण करें तो 20 प्रमुख राज्यों का व्यय अधिकतम मूल्य के हिसाब से बिहार के कुल व्यय का 16 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश व झारखंड जैसे राज्यों के कुल व्यय के 12 प्रतिशत के बराबर खर्च आएगा।’