जबलपुर। कोरोना काल में भी लोग अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे है और ऐसी संकट की घडी में भी नकली दवा का कारोबार धड़ल्ले से चला रहे है। बता दें कि कोरोना के उपचार में उपयोगी रेमडेसिविर के नकली इंजेक्शन के कारोबार का मामला अभी चर्चा में बना है जिसके बाद नकली फेविपिराविर दवा भी बाजार में आ गई है। एंटीवायरल नकली दवा के कारोबार का भांडाफोड़ मुंबई पुलिस द्वारा किया गया जिसके बाद देशभर में संबंधित बैच (टीपी-0521910) नंबर की दवा के उपयोग पर रोक लगा दी गई है।

इस संबंध में जबलपुर केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के सचिव चंद्रेश जैन ने बताया कि महाराष्ट्र से नकली दवा के कारोबार के संबंध में जानकारी मिलने के बाद उन्होंने दवा कारोबारियों को घटना की जानकारी दे दी है। ताकि भूलवश किसी विक्रेता के पास संबंधित बैच की दवा पहुंची हो तो उसका क्रय विक्रय न होने पाए। उन्होंने कहा कि जब भी किसी दवा की मांग ज्यादा व उत्पादन कम होने के हालात बनते हैं तो उसकी कालाबाजारी व नकली दवा के कारोबार की घटनाएं सामने आती हैं। इसलिए जबलपुर में भी कोरोना व ब्लैक फंगस तथा अन्य ऐसी बीमारियों के उपचार में उपयोगी उन दवाओं की सैंपलिंग व गुणवत्ता की जांच होनी चाहिए जिनकी कमी सामने आ रही है।

तो वहीं जबलपुर केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के सचिव जैन का कहना है कि जिले में दवाओं की सैंपलिंग पर जोर दिया जाना चाहिए। कोरोना महामारी के दौरान देश के कई शहरों से नकली दवाओं के कारोबार की घटनाएं सामने आई हैं। जबलपुर भी उससे अछूता नहीं रहा। इसलिए जिम्मेदार विभाग को इस दिशा में कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना उपचार में उपयोगी दवाओं की सैंपलिंग नहीं की जा रही है। जबकि पहली महामारी की पहली और दूसरी लहर में दवाओं की किल्लत सामने आ चुकी है। सैंपलिंग पर जोर देकर कालाबाजारी को भी नियंत्रित किया जा सकता है।