नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में दवा निर्माता कंपनी टेवा एपीआई पर पर्यावरण मानदंडों के उल्लंघन के लिए 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि फार्मास्युटिकल सामग्री (एपीआई) के निर्माण की खतरनाक गतिविधि का संचालन करने वाली टेवा एपीआई प्राइवेट लिमिटेड लिमिटेड जैसी बड़ी वैश्विक कंपनी पर्याप्त सुरक्षा उपायों के बिना काम कर रही है और पर्यावरण मानदंडों के उल्लंघन के बारे में चिंतित नहीं है। अधिकरण ने कहा कि कंपनी भूजल के अवैध दोहन के उल्लंघन के साथ-साथ नाले के प्रदूषण के लिए स्पष्ट रूप से जिम्मेदार है। सुरक्षा मानदंडों का भी उल्लंघन किया गया है।
एनजीटी ने कहा, ‘‘वर्तमान मामले में उल्लंघन की प्रकृति और विचाराधीन इकाई की वित्तीय क्षमता को ध्यान में रखते हुए मुआवजे की राशि 10 करोड़ रुपये तय की जाती है। इस राशि को एक महीने के भीतर जिला मजिस्ट्रेट के पास जमा करना होगा।” पीठ ने कहा, ‘‘भू-जल को बचाने, वनीकरण, भूनिर्माण, नाले के जीर्णोद्धार और आपातकालीन योजनों के लिए जिलाधिकारी खर्च की जाने वाली राशि को इससे अलग खाते में रख सकते हैं।” अधिकरण ने यह निर्णय दरअसल उत्तर प्रदेश के निवासी जितेंद्र सिंह द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई के बाद दिया है। याचिकाकर्ता ने दवा निर्माता कंपनी पर आरोप लगाया था कि 7 और 10 जून, 2020 को गैस रिसाव की घटनाएं टेवा एपीआई से हुईं।