नई दिल्ली : कोरोना महामारी के दौरान इलाज के लिए उपयोग की जा रही दवाई रेमडेसिविर की ब्लैक मार्केटिंग का मामला सामने आया है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रेमडेसिविर की ब्लैक मार्केटिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने चार्जशीट फाइल की है। तीन लोगों के खिलाफ अवैध रूप से रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने के आरोप में पश्चिम बंगाल की अदालत में यह आरोप पत्र दायर किया गया है।

ईडी के मुताबिक बांग्लादेश में बने रेमडेसिविर इंजेक्शन की अवैध बिक्री में तीनों शामिल रहे हैं। ईडी ने आरोप लगाया है कि आरोपी बांग्लादेश में बनी इंजेक्शन बेचने के लिए तीनों अवैध नेटवर्क से जुड़े हैं। दो अन्य आरोपियों की मदद से रेमडेसिविर गैरकानूनी तरीके से बेचा गया।

रेमडेसिविर इंजेक्शन गैरकानूनी तरीके से बेचने का यह मामला साल 2021 का है। ईडी ने जिन लोगों पर आरोप लगाए हैं इनमें पश्चिम बंगाल का राहुल बर्धन, विश्वजीत दास और निशिता कनोडिया है। रेमडेसीविर ब्लैक मार्केटिंग के इस मामले में ईडी की चार्जशीट के मुताबिक आरोपियों पर प्रीवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत आरोप लगाए गए हैं।

रेमडेसिविर ब्लैकमार्केटिंग मामला कोलकाता की एक विशेष अदालत में चल रहा है। ईडी ने यहीं चार्जशीट फाइल की है। बता दें कि 26 अप्रैल, 2021 को दर्ज प्राथमिकी के आधार पर ईडी ने इस मामले की जांच शुरू की थी। कोलकाता पुलिस ने भारतीय दंड संहिता यानी (आईपीसी) और ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट की अलग-अलग धाराओं में मामला दर्ज किया है। ईडी ने दावा किया है कि राहुल वर्धन एक गैर कानूनी नेटवर्क चलाता था जिसके तहत ब्लैक मार्केटिंग की गई। इससे पहले फरवरी 2022 में ईडी ने राहुल और निशिता कनोडिया से जुड़ी संपत्तियों को भी अटैच किया था।