नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने नीट-पीजी-21 में 1450 से अधिक सीटें खाली रहने पर मेडिकल काउंसिलिंग समिति (एमसीसी) को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि इसने न केवल उम्मीदवारों को मुश्किल में डाला है बल्कि इससे डॉक्टरों की भी कमी होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और एमसीसी को 24 घंटे में हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा है कितनी सीटें खाली हैं और उनपर उम्मीदवारों को प्रवेश नहीं देने का कारण बताने को कहा है। शीर्ष अदालत ने केंद्र और एमसीसी की ओर से पेश अधिवक्ता को आज ही हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई बृहस्पतिवार तक के लिए टाल दी।

न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की अवकाश कालीन पीठ उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिसमें अखिल भारतीय कोटे के तहत आयोजित ‘स्ट्रे काउंसलिंग’ के बाद भी खाली रह गई 1456 सीटों को भरने के लिए विशेष ‘स्ट्रे काउंसलिंग’ कराने का अनुरोध किया गया है।

सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, अगर एक भी खाली सीट बचती है तो उसे खाली नहीं जाने दिया जाना चाहिए। यह मेडिकल काउंसिल का कर्तव्य है कि ये सीटें खाली नहीं जाए। काउंसिलिंग के हर चरण के बाद इसी तरह की समस्या आती है। प्रक्रिया को क्यों नहीं दुरुस्त किया जाता? सीटों को खाली छोड़कर हमें क्या हासिल होता है जबकि हमें डॉक्टरों की जरूरत है?

यह न केवल उम्मीदवारों के लिए समस्या उत्पन्न करता है बल्कि यह भ्रष्टाचार को भी प्रोत्साहित करता है।
अदालत ने केंद्र और एमसीसी की ओर से पेश अधिवक्ता से कहा कि क्यों नहीं तनाव रहित शिक्षा प्रणाली बनाई जा सकती है जहां पर सबकुछ सुचारु हो।