जयपुर

प्रदेश में नर्सिंग स्टाफ की बेहद कमी है, मगर नर्सिंग स्टूडेंट तैयार करने के लिए कॉलेजों को मान्यता नहीं मिल रही। हालात इतने विकट हो गए हैं कि 53 मरीजों पर एक नर्सिंग स्टाफ रह गया है। पहले यह आंकड़ा 47 पर एक मरीज का था। मरीज और हॉस्पिटल्स लगातार बढ़ रहे हैं और नर्सिंग स्टाफ की संख्या कम हो रही है। इसके बावजूद चिकित्सा विभाग की ओर से नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता नहीं देना कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाता है।
वहीं दूसरी ओर जिन कॉलेजों को मान्यता दी गई, वे सभी शर्ते अन्य कॉलेज आवेदक भी पूर्ति करते थे।
जिला अस्पतालों, सीएचसी और पीएचसी पर 46659 बेड पर 30 लाख से अधिक मरीज होते हैं। उनकी देखभाल के लिए नर्सिंग स्टाफ की जरूरत है। अभी 53 मरीजों को केवल एक नर्सिंग स्टाफ संभाल रहा है।

मेडिकल कॉलेजों में यह स्थिति और भी विकट है। एसएमएस अस्पताल में ही 72 बेड पर एक नर्सिंग स्टाफ है। चिकित्सा विभाग ने 498 नर्सिंग कॉलेज के आवेदकों में से केवल 9 कॉलेज को मान्यता दी है। डब्लूएचओ के अनुसार राजस्थान में मरीजों और बेड की संख्या के अनुसार नर्सिंग स्टाफ की कमी को दूर करने में ही 15 वर्ष से अधिक समय लग जाएगा।