चेन्नई। प्रतिबंधित दवा अमेरिका भेजने का प्रयास एक भारतीय दवा विक्रेता को महंगा पड़ गया। उसे 10 साल की जेल की सजा सुनाई गई है। साथ ही कोर्ट ने दोषी को 2.3 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

यह है मामला

शहर के एक दवा थोक विक्रेता ने कोरोना महामारी के दौरान सितंबर 2020 में मेल के जरिए अमेरिका में ग्राहकों को मनोवैज्ञानिक दवाएं भेजने की बोली लगाई थी। प्रतिबंधित दवा के इस मामले में अदालत ने दवा विक्रेता को 10 साल के लिए कारावास की सजा सुनाई है।

2.3 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया

इस मामले की सुनवाई एक विशेष अदालत कर रही थी। हालांकि, अभियुक्त ने यह तर्क दिया कि वह केवल इतना जानता था कि निर्यात के लिए ये दवाएं प्रतिबंधित थी। उसे यह नहीं पता था कि यह नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत एक अपराध था। अदालत ने उसे दोषी ठहराया और 2.3 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

सीमा पर रोका गया था पार्सल

अन्ना सलाई के सैयद शिराजुद्दीन बादशा को सितंबर 2020 में चेन्नई सीमा शुल्क विभाग ने गिरफ्तार किया गया था। सीमा शुल्क अधिकारियों ने विदेशों के लिए अपंजीकृत पत्रों में मनोवैज्ञानिक पदार्थों वाले पार्सल को रोक दिया था।

पार्सल में मिला साइकोट्रॉपिक पदार्थ

बताया गया कि दोषी बादशा द्वारा बुक किए गए पार्सल में साइकोट्रॉपिक पदार्थ थे। इनमें 55 ग्राम क्लोनाज़ेपम 1 मिलीग्राम (व्यावसायिक नाम लोनज़ेप), 126 ग्राम ज़ोलपिडेम टार्ट्रेट -10 (व्यावसायिक नाम ज़ोलफ्रेश) और 374.4 ग्राम मिथाइल फेनिडेट टैबलेट (व्यावसायिक नाम ऐडवाइज़) शामिल था।