नई दिल्ली। दवा सप्लाई के मामले में भारतीय फार्मेसी को विश्वभर में नंबर वन पर है। अमेरिका को 40 फीसदी जेनरिक दवाओं की सप्लाई करता है। इसी कारण इसे दुनिया की फार्मेसी कहा जाता है।
अमेरिका को 40 फीसदी जेनरिक दवाओं की सप्लाई
गौरतलब है कि भारत दुनिया के कई देशों को दवाइयां एक्सपोर्ट करता है। सबसे बड़ी इकॉनामी अमेरिका के फार्मा बाजार में भी भारत अन्य देशों के मुकाबले सर्वाधिक मात्रा में दवाइयां सप्लाई करता है। अमेरिका की कुल जरूरत की 40 फीसदी जेनरिक दवाओं की सप्लाई भारत से ही होती है। जिन कंपनियों के 10 से ज्यादा एक्टिव एपीआई प्रॉडक्ट्स को मंजूरी मिली है, उनमें सबसे ज्यादा भारत की हैं।
अन्य देशों की सप्लाई मामले में ये है स्थिति
बता दें कि देश की 183 कंपनियों की दस से ज्यादा दवाओं को अमेरिका में मंजूरी मिली हैं। इस मामले में यूरोपियन यूनियन यानी ईयू सेकंड नंबर पर है। वहां की 83 कंपनियों को अमेरिका में मंजूरी मिली है। चीन तीसरे नंबर पर है। चीन की 35 कंपनियों को अमेरिका में दस से ज्यादा प्रॉडक्ट्स बेचने की मंजूरी मिली है।
बाकी सब देशों की बात करें तो उनकी 22 कंपनियों को अमेरिका में यह फैसिलिटी मिली है। इस तरह ईयू, चीन और दूसरे देशों को जोड़ लिया जाए तो उनकी कंपनियों की संख्या 159 बैठती है। यह संख्या भारत से कम है।
यही वजह है कि भारत को दुनिया की फार्मेसी के रूप में जाना जाता है।
कोरोना महामारी के दौरान 70 देशों को फ्री वैक्सीन भेजी थी
यहां उल्लेखनीय है कि भारत ने कोरोना महामारी के दौरान 70 देशों को वैक्सीन की करीब 5.84 करोड़ डोज मुफ्त भेजी थी। अफ्रीका में जेनरिक दवाओं की कुल मांग का 50 प्रतिशत भारत से ही सप्लाई होता है। भारत दुनिया की कुल वैक्सीन का 60 प्रतिशत और डब्ल्यूएचओ के अनिवार्य टीकाकरण अभियान में लगने वाली कुल वैक्सीन का 70 प्रतिशत उत्पादन करता है।