नई दिल्ली: गाय का दूध पीने से बच्चे हष्ट-पुष्ट होते हैं, इस दावे को रैपिड सर्वे ऑन चिल्ड्रेन (आरएसओसी) की रिपोर्ट से थोड़ा झटका लगा है। रिपोर्ट बताती है कि छोटी उम्र में बच्चों को गाय का दूध देने से उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है। साथ ही पाचन संबंधी समस्याएं भी पैदा हो सकती है। भारत में 42 फीसदी शिशु ऐसे हैं जिन्हें किसी कारणवश मां का दूध नहीं मिल पाता है। गाय का दूध एक साल से कम उम्र के स्तनपान से वंचित शिशुओं को अच्छे स्वास्थ्य के उद्देश्य से दिया जाता है।
चिकित्सकों की मानें तो गाय के दूध में मौजूद प्रोटीन पचाने में इस उम्र के बच्चे सक्षम नहीं होते हैं। इसलिए उन्हें बार-बार दस्त जैसी समस्या पैदा हो सकती है। कभी-कभी मां में लैक्टेशन की समस्या के चलते पर्याप्त दूध नहीं निकलता और शिशु को ऊपरी दूध भी देना पड़ता है। ऐसे में बच्चे का उचित पोषण बनाए रखने और पेट भरने के लिए गाय के दूध को सर्वोत्तम माना जाता है। लेकिन शिशु रोग विशेषज्ञों कहते हैं कि गाय का दूध बहुत छोटी उम्र में दिया जाना यानी नवजात या 3 से 6 माह की अवधि के दौरान तो इस उम्र में लौह तत्व की सांद्रता कम होने से बच्चों में एनीमिया का खतरा भी हो सकता है। साथ ही यह दूध बच्चों की अपरिपक्व किडनी पर भी असर डालता है। बेशक आरएसओसी की रिपोर्ट गाय के दूध से कुछ भी खतरे बताए लेकिन लोगों के भीतर गाय के दूध की महत्ता का भरोसा टूटना बहुत मुश्किल है।