चंडीगढ़: पीजीआई चंडीगढ़ के शोध में सामने आया कि हड्डियों के रोग में दवा खाने वाले रोगियों के दांत कमजोर हो रहे हैं। 100 में से 13 मरीजों को इस परेशानी का सामना करना पड़ता है। हड्डियों में कमजोरी की बीमारी से जूझ रहा हर सातवां रोगी दांतों में कमजोरी की समस्या से भी पीडि़त है। हड्डियों की कमजोरी यानी ओस्टियोपोरोसिस से ग्रस्त कई ऐसे मरीज होते हैं जिनको साइड इफैक्ट के चलते दूसरे रोग जकड़ लेते हैं। इनमें जबड़े कमजोर हो जाना, दांतों में कमजोरी से इंफेक्शन हो जाना प्रमुख है।
पीजीआई में 16 मरीजों की केस स्टडी में सामने आया कि ओस्टियोपोरोसिस के इलाज में ली जाने वाली दवा दांतों पर बुरा प्रभाव डालती है। इन मरीजों का पिछला ट्रीटमेंट ट्रैक कर दवा का अध्ययन किया तो पाया कि इनके दुष्प्रभाव से मसूड़े कमजोर हो गए और दांतों में गैप आ गया। शोध में शामिल डॉ. सचिन तथा सतनाम ने बताया कि किसी भी बीमारी का इलाज शुरू करने से पहले डॉक्टर को पूर्व ट्रीटमेंट हिस्ट्री बताना बेहद आवश्यक है। हड्डियों की कमजोरी दूर करने के लिए कई तरह की दवा इस्तेमाल की जाती है। बिस्फोस्फोनेट और डेनोसुनेव दवा के शरीर पर गलत प्रभाव होने की जानकारी शोध में सामने आई है। कई रोगी ऐसे होते हैं जिनको दवा से दिक्कत हुई और उन्हें डेंटल विभाग में शिफ्ट करना पडा। ओस्टियोपोरोसिस के इलाज के लिए ली जा रही दवा के लगातार सेवन से मसूड़ों में रक्तसंचार कम हो जाता है। मसूड़ों में इन्फेक्शन की आशंका बढ़ जाती है। इस ताजा जानकारी से हड्डी रोगियों में दूसरी बीमारियों का डर पैदा होना स्वाभाविक है। लेकिन चिकित्सकों ने कहा कि किसी भी सूरत में घबराने की जरूरत नहीं है। रोगी को चाहिए कि वह जरा भी दूसरी तकलीफ महसूस करे तो चिकित्सीय परामर्श में ढिलाई न बरते।