वाराणसी। कालाजार बीमारी के लिए नई दवा खोज ली गई है। यह नई दवा कालाजार के इलाज में कारगर सिद्ध होगी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (बीएचयू) के शोधकर्ताओं ने आईआईटी गुवाहाटी के साथ मिलकर डुअल-टारगेट लिपोसोमल दवाएं विकसित की हैं। यह दवाएं इस घातक और उपेक्षित उष्ण कटिबंधीय रोग के इलाज को पूरी तरह से बदल सकती हैं। इस अनुसंधान का नेतृत्व आईआईटी (बीएचयू) के जैव रासायनिक अभियांत्रिकी के प्रो. विकास कुमार दुबे और आईआईटी गुवाहाटी से संबद्ध प्रो. शंकर प्रसाद कन्नौजिया ने किया।
शोधकर्ताओं के डिजाइन किए दो सिंथेटिक यौगिक, दो प्रमुख एंजाइमों, आयरन सुपर ऑक्साइड डिस्म्यूटेज ए और ट्रायपेनोथायोन रिडक्टेज को रोकने में सक्षम हैं। इन यौगिकों की विशेषता यह है कि ये परजीवी पर दो मोर्चों से एक साथ वार करते हैं और इससे इलाज की सफलता की संभावना बढ़ जाती है। दवा प्रतिरोध के खतरे में उल्लेखनीय कमी आती है।
प्रमुख शोधार्थी छात्र कुशल बोरा ने बताया कि इन दोनों एंजाइमों को एक साथ लक्षित करना परजीवी पर वार करने जैसा है। इसकी एक और विशेषता यह है कि इन यौगिकों को पॉलीमर आधारित लिपोसोम के जरिए संलग्न किया गया है। यह अत्याधुनिक दवा वितरण प्रणाली है, जो लक्षित उपचार और नियंत्रित दवा मुक्त करने की क्षमता प्रदान करती है। इससे दवा की प्रभावशीलता में वृद्धि हुई है. साथ ही यह स्वस्थ कोशिकाओं पर इसके हानिकारक प्रभाव को भी कम करती है।