नई दिल्ली। भारतीय फार्मा सेक्टर ने 8 प्रतिशत वृद्धि की छलांग लगाई है। फार्मास्युटिकल सेक्टर लगातार तेजी से बढ़ रहा है। दवा और स्वास्थ्य सेवा बाजार की स्थिर और मजबूती वाली वृद्धि जारी है। अनुमान है कि यह उद्योग 2030 तक 130 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। इससे यह वैश्विक फार्मा बाजार में भारत की स्थिति को और मजबूत करेगा।

अगस्त में जेनरिक दवाओं, बायोलॉजिक्स और वैक्सीन उत्पादन में वृद्धि से लाभ मिला। जेनरिक दवाओं की मांग घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ी। कोविड-19 महामारी के बाद वैक्सीन और बायोटेक उत्पादों की निरंतर मांग बनी रही। स्वास्थ्य देखभाल खर्च में वृद्धि भी वृद्धि के पीछे प्रमुख कारण रहे। अगस्त में 8 फीसदी की वृद्धि दर पिछले साल की तुलना में काफी मजबूत संकेत है। यह इंडस्ट्री के स्थिर विकास को दर्शाता है।

भारत का फार्मा उद्योग केवल घरेलू स्वास्थ्य देखभाल के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह वैश्विक बाजार में भारत की स्थिति को भी मजबूत करता है। जेनरिक दवाओं का निर्यात अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका के बाजार में भारतीय जेनरिक दवाओं की मांग बढ़ी।

वैक्सीन और बायोलॉजिक्स वैश्विक स्तर पर भारत के उत्पादन क्षमता की पहचान। क्लिनिकल ट्रायल और रिसर्च नई दवाओं और चिकित्सा समाधानों के विकास में योगदान। रोजगार और निवेश फार्मा सेक्टर नई नौकरियों और निवेश के अवसर पैदा कर रहा है। यदि यह वृद्धि दर जारी रहती है, तो भारत का फार्मा सेक्टर 2030 तक 130 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। फार्मा उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का यह उद्योग विश्वस्तरीय गुणवत्ता और लागत-प्रभावशीलता के कारण तेजी से बढ़ रहा है।

इसके लिए प्रमुख कारक होंगे

1. नवाचार और अनुसंधान में निवेश : नई दवाओं और चिकित्सा तकनीकों का विकास।
2. वैश्विक निर्यात बढ़ाना : अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा और गुणवत्ता सुनिश्चित करना।
3. सरकारी समर्थन और नीति सुधार : उत्पादन लागत कम करना और नए उद्योग निवेश को बढ़ावा देना।
4. डिजिटल हेल्थकेयर और फार्मा टेक्नोलॉजी : रोगियों तक पहुंच और डेटा आधारित स्वास्थ्य समाधान।
5. इस तरह भारत वैश्विक फार्मास्युटिकल मार्केट में शीर्ष देशों में शामिल होने की ओर अग्रसर है।