सोलन (हिमाचल प्रदेश )। नेक्सा डीएस सिरप का उत्पादन रोक दिया गया है। सूबे की पांच दवा कंपनियां रडार पर आ गई हैं। खांसी की दवा से बच्चों की मौत के बाद हिमाचल की भी पांच दवा कंपनियां जांच के घेरे में आ गई हैं। फिलहाल नेक्सा डीएस खांसी की सिरप का उत्पादन रोक दिया गया है। सप्लाई चेन को बंद करने के आदेश जारी हुए हैं। कंपनियों को संदिग्ध दवाओं को बाजार से रिकॉल करने के निर्देश दिए हैं। यह सिरप तमिलनाडु की स्रेसन फार्मास्यूटिकल्स द्वारा निर्मित था। सोलन और बद्दी की पांच कंपनियां भी यही दवा मध्यप्रदेश के अस्पतालों को सप्लाई करती थीं। इसी कारण अब हिमाचल में इन कंपनियों पर कार्रवाई तेज हो गई है।
तीन सदस्यीय टीम ने बद्दी और सोलन स्थित पांच दवा कंपनियों के उत्पादन इकाइयों की जांच की। टीम ने संशोधित शेड्यूल-एम और गुड लैबोरेटरी प्रैक्टिस के अनुपालन की स्थिति जांची। जिन बच्चों को यह सिरप दी गई, उसमें डाइएथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल जैसे जहरीले रसायन मिले थे। ये सामान्यत: ऑटोमोबाइल सेक्टर में कूलेंट और एंटी-फ्रीज के रूप में इस्तेमाल होते हैं।
थोड़ी मात्रा भी किडनी और दिमाग को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है। संदिग्ध उत्पादों की पहचान कर 13 सैंपल जांच के लिए प्रयोगशाला भेज दिए। जांच में शुद्धता प्रमाणित नहीं होने तक इनका उत्पादन और वितरण भी बंद रहेगा। राज्य औषधि नियंत्रक मनीष कपूर ने कहा कि हिमाचल से जिन दवाओं की सप्लाई हुई थी, उनकी पहचान कर ली है। उत्पादन और सप्लाई रोकने के आदेश दिए गए हैं। कंपनियों को रिकॉल करने के निर्देश भी दिए हैं। हमारी प्राथमिकता जनसुरक्षा है। हमने जोखिम-आधारित निरीक्षण किया है। मामला गंभीर है और हम पूरी सख्ती से निगरानी कर रहे हैं।