नई दिल्ली। फर्जी दस्तावेज देने पर दवा कंपनियों के लाइसेंस कैंसिल किए जाएंगे। यह फैसला नकली और घटिया दवाओं के खिलाफ केंद्र सरकार ने लिया है। सरकार ने औषधि नियम, 1945 में संशोधन करते हुए नए नियमों की अधिसूचना जारी कर दी है। यदि कोई फार्मा कंपनी दवा निर्माण, बिक्री या पंजीकरण के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेती है, तो उसका लाइसेंस रद्द किया जा सकेगा।

दोषी मिलने पर लाइसेंस प्राधिकारी आवेदक को कारण बताओ नोटिस जारी करेगा। जवाब असंतोषजनक मिलने पर उसे दवा निर्माण या बिक्री से अस्थायी रूप से प्रतिबंधित किया जा सकता है। यह प्रतिबंध अवधि प्राधिकारी के विवेक और सिफारिश के अनुसार तय की जाएगी।

28 अक्तूबर को यह अधिसूचना प्रकाशित की गई। सीडीएससीओ के अनुसार, यह प्रावधान दवा क्षेत्र में फर्जी सूचनाओं और दस्तावेजों की हेराफेरी पर अंकुश लगाने के लिए लाया गया है। इसके तहत किसी भी फार्मा कंपनी, वितरक या निर्माता पर कार्रवाई हो सकती है।

सीडीएससीओ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कुछ वर्षों में कई मामलों में पाया गया कि कुछ कंपनियों ने दवा निर्माण या पंजीकरण के लिए गलत जानकारियां और फर्जी प्रमाणपत्र प्रस्तुत किए। इससे दवा की गुणवत्ता पर असर पड़ा। साथा ही जनस्वास्थ्य की सुरक्षा को भी खतरा हुआ।

दोषी घोषित व्यक्ति या संस्था को अपनी बात रखने का अवसर दिया जाएगा। यदि कोई आवेदन लाइसेंस प्राधिकारी के आदेश से असहमत है तो वह 30 दिनों के भीतर अपील कर सकता है। अपील संबंधित सरकार (राज्य या केंद्र) के समक्ष दायर की जाएगी, जो जांच और सुनवाई के बाद अंतिम आदेश पारित करेगी।