नई दिल्ली। अब डायबिटीज के मरीजों को इंजेक्शन का दर्द नहीं सहना पड़ेगा। इसके लिए शोधकर्ताओं ने इंजेक्शन या पंप के रूप में ली जाने वाली इन्सुलिन की दवा को गोली के रूप में तैयार किया है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में हुए शोध में विशेषज्ञों ने के अनुसार डायबिटीज के मरीजों के लिए लाइफ स्टाइल संबंधी प्रतिबंधों के अलावा सबसे तकलीफदेह इन्सुलिन के इंजेक्शन लेना होता है। हालांकि, इस गोली का क्लीनिकल ट्रायल होना है, जिसमें यह देखा जाएगा कि गोली साइड इफेक्ट से दूर और कितनी प्रभावकारी है। इस शोध से संबंधित लेख प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित हो चुका है। गौरतलब है कि भारत में तकरीबन सात करोड़ लोग डायबिटीज के शिकार हैं। यही वजह है कि भारत को डायबिटीज पीडि़तों के मामले में वैश्विक राजधानी कहा जाता है।
प्रमुख शोधकर्ता अमृता बनर्जी ने कहा कि जब प्रोटीन मॉलिक्यूल जैसे कि इनसुलिन आंतों में प्रवेश करता है तो कई एंजाइम प्रोटीन को एमिनो एसिड में तोड़ देते हैं। मगर आयोनिक लिक्विड वाले इनसुलिन इंजेक्शन के साथ ऐसा नहीं होता है। अमृता नॉर्थ डकोटा स्टेट यूनिवर्सिटी में पोस्टडॉक्टोरल फेलो हैं। विशेषज्ञों ने इस गोली के बारे में बताया कि इसे कोलीन और जेरांटे (सीएजीई) आयोनिक लिक्विड का इस्तेमाल कर तैयार किया है। जब 10 ह्व/द्मद्द इंसुलिन-सीएजीई गोली के रूप में ली जाएगी तो ब्लड ग्लूकोज का स्तर 45 फीसदी तक आ जाएगा। इस दवा को कमरे के तापमान पर दो महीने तक और चार महीने तक फ्रीज में रखा जा सकता है।