नई दिल्ली। एंटीबायोटिक दवा से दुनिया में 30 लाख से अधिक बच्चों की मौत हो जाने का मामला प्रकाश में आया है। यह खुलासा बाल स्वास्थ्य के दो प्रमुख विशेषज्ञों ने एक अध्ययन के बाद किया है। इसका सबसे अधिक खतरा अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया के बच्चों पर पाया गया है।

बताया गया कि एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने के कारण बच्चों की मौत होने की आशंका है। इस स्थिति को एंटीमाइक्रोबायल रेज़िसटेंस (रोगाणुरोथी प्रतिरोध) यानी एएमआर कहा जाता है। एएमआर शरीर में तब विकसित होता है जब संक्रमण पैदा करने वाले रोगाणु, इतने ताक़तवर हो जाते हैं कि एंटीबायोटिक दवाएं असर करना बंद कर देती हैं।

इस नए अध्ययन से पता चला है कि एएमआर बच्चों पर कैसे बुरा असर डाल रहा है। अध्ययन के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और विश्व बैंक समेत कई संस्थाओं से आंकड़े लिए गए थे। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि साल 2022 में तीस लाख से अधिक बच्चों की मौत दवा के प्रति पैदा हुई प्रतिरोधक क्षमता से जुड़ी है।

बता दें कि एंटीबायोटिक्स का उपयोग त्वचा संक्रमण से लेकर निमोनिया तक कई प्रकार के जीवाणुजनित संक्रमणों के उपचार या रोकथाम के लिए किया जाता है। कभी-कभी संक्रमण उपचार के बजाय इसे रोकथाम के लिए भी प्रयोग किया जाता है। हालांकि, सामान्य सर्दी, फ्लू या कोविड जैसी बीमारियों और वायरल संक्रमणों पर एंटीबायोटिक्स का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। कुछ जीवाणुओं ने अब कुछ दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है और इसकी वजह एंटीबायोटिक दवाओं का अनुचित उपयोग बताया जा रहा है।