नई दिल्ली। नकली मेडिसिन पर नकेल डालने की मुहिम में तेजी ला दी गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय अब एक्टिव मोड में है। स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि देश में सुरक्षित व प्रभावकारी दवाओं, मेडिकल उपकरणों के निर्माण की मंजूरी देने तथा विदेशों में निर्यात करने के लिए मजबूत प्रणालियां तैयार की गई है।

यह है मामला

स्वास्थ्य मंत्री आमजन को कम कीमत पर गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध कराने को लेकर नीतियां तय कर रहा है। देश में अभी 8 ड्रग टेस्टिंग लैब्स हैं और इनकी संख्या बढ़ाई जा रही हैं। दो लैब्स अभी पाइपलाइन में हैं और इनकी संख्या में बढ़ोतरी होगी। इस समय देश में दवा उत्पादों के टॉप 300 ब्रांड पर बार कोड या त्वरित प्रतिक्रिया कोड (क्यूआर कोड) जरूरी किया जा चुका है। इस पॉलिसी को समय- समय पर रिव्यू किया जाता रहेगा।

सिस्टम में पारदर्शिता

ड्रग रेगुलेटरी अथॉरिटीज की इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वर्तमान में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन में 95 प्रतिशत से अधिक रेगुलेटरी प्रोसेस का डिजिटलीकरण किया गया है। इससे सिस्टम में पारदर्शिता आई है। भारत में मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को लेकर भी रेगुलेशंस बनाए गए हैं और क्वॉलिटी ड्रग्स को लेकर सभी जरूरी उपाय किए जा रहे हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादा से ज्यादा दवाओं पर क्यूआर कोड होने चाहिए। कोड या क्यूआर कोड को स्कैन करके दवा के बारे में काफी कुछ जानकारी मिल सकती है। सरकार की ओर से पहले ही कंपनियों को सख्त हिदायत दी जा चुकी है कि वो अपनी दवाओं पर बार कोड लगाएं। सरकार के निर्देश को नहीं मानने पर फार्मा कंपनियों पर भारी जुर्माना लग सकता है।