पुणे (महाराष्ट्र)। आयुर्वेदिक दवा निर्माता के खिलाफ केस दर्ज होने का मामला सामने आया है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने सोलापुर स्थित आयुर्वेदिक दवा निर्माता सेठ सखाराम नेमचंद रसशाला पर नियमों का उल्लंघन कर फैक्ट्री संचालन करने का आरोप लगाया है।

डॉ. प्रदन्या प्रांजल कुलकर्णी ने आरोप लगाया है कि फैक्ट्री ऐसी दवाओं का उत्पादन करती है जो बिना लाइसेंस हैं। इन दवाओं में सल्फर और पारा जैसे जहरीले तत्व होते हैं, जिनका नियमित रूप से सेवन करने पर मरीजों को बड़ी स्वास्थ्य हानि होती है।

दर्ज शिकायत में बताया गया है कि आयुष कंपनी अपने उत्पादों में सोने और चांदी सहित धातु-आधारित पाउडर का उपयोग अप्रयुक्त फॉर्मूलेशन में करती है। उनकी कई दवाएं बिना लाइसेंस के हैं और बिना किसी परीक्षण के बेची जाती हैं। इसके अलावा, कई गंभीर परिचालन संबंधी खामियां हैं। एफडीए पुणे ने 12 जुलाई, 2024 को उत्पादन बंद करने का आदेश दिया था, लेकिन इसमें केवल एक गुणवत्ता नियंत्रण अधिकारी की अनुपस्थिति को संबोधित किया गया। जहरीले अवयवों और अनधिकृत संचालन के महत्वपूर्ण मुद्दों को नजरअंदाज कर दिया गया।

कुलकर्णी द्वारा लगाए गए आरोपों के बारे में फैक्ट्री के ट्रस्टी डॉ. आदर्श मेहता से संपर्क किया तो उन्होंने उनके सभी दावों का खंडन किया। उन्होंने कहा कि हमारा संस्थान 100 वर्षों से कार्यरत है और एफडीए नियमों का पूरी तरह से पालन करता है।

आरोपों की गंभीरता को देखते हुए एफडीए पुणे के संयुक्त आयुक्त (ड्रग्स) गिरीश हुकरे ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है और उल्लंघन की पुष्टि होने पर आगामी कार्रवाई अमील में लाई जाएगी।