मुंबई। जीन थेरेपी को एड्स का उपचार करने में लाभकारी पाया गया है। जॉन्स हॉपकिन्स मेडिसिन के वैज्ञानिकों ने एक शोध में यह दावा किया है। एचआईवी से संक्रमित मनुष्य के प्रतिरक्षा कोशिकाओं का अध्ययन किया गया और इसमें पाया कि एचआईवी के भीतर एक अणु में हेरफेर किया जा सकता है। वायरस को लंबे समय तक निष्क्रिय रखा जा सकता है। एक ऐसी स्थिति जिसमें एचआईवी अपने आपको दोहराता नहीं है।

वैज्ञानिकों ने पाया कि एक एंटीसेंस ट्रांसक्रिप्ट एचआईवी की आनुवंशिक सामग्री से बनता है। यह एक आणविक मार्ग हिस्सा होता है। यह वायरस को निष्क्रिय कर देता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसे संक्रमण के रुकावट के रूप में जाना जाता है।

शोध पत्र में कहा गया है कि नए निष्कर्ष बढ़ते हुए साक्ष्यों में शामिल हैं। ये एंटीसेंस ट्रांसक्रिप्ट (एएसटी) उत्पादन को बढ़ाने वाली जीन थेरेपी विकसित करने में मदद कर सकते हैं। एचआईवी के लिए मानक उपचार में हर दिन एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी लेना शामिल है। यह वायरस को खुद की नई प्रतियां बनाने और फैलने से रोकता है। एंटीवायरल दवाओं को लंबे समय तक लिया जाता है और उनकी छोटी अवधि व लंबी अवधि के दुष्प्रभाव होते हैं। वहीं, जीन थेरेपी के लिए केवल एक खुराक की जरूरत पड़ती है।