नई दिल्ली। ड्रग्स और क्लीनिकल ट्रायल्स के नियमों को केंद्र सरकार बदलने जा रही है। इससे फार्मा सेक्टर को काफी फायदा होगा। स्वास्थ्य मंत्रालय ने फार्मास्यूटिकल और क्लीनिकल रिसर्च सेक्टर में कारोबार को आसान बनाने की पहल की है। न्यू ड्रग्स एंड क्लीनिकल ट्रायल्स रूल्स-2019 में कुछ बदलाव करने का प्रस्ताव दिया है। इन बदलावों को 28 अगस्त को भारत के राजपत्र में प्रकाशित किया और अब जनता से सुझाव मांगे जा रहे हैं।
ये हैं मुख्य बदलाव?
टेस्ट लाइसेंस लेने और बायोएवेलेबिलिटी/बायोइक्विवेलेंस स्टडीज से जुड़ी प्रोसेस को सरल बनाने की कवायद की गई है। अब टेस्ट लाइसेंस के लिए मौजूदा सिस्टम को नोटिफिकेशन और इंटिमेशन सिस्टम में बदला जा रहा है।
कुछ खास हाई-रिस्क दवाओं को छोडक़र, आवेदकों को टेस्ट लाइसेंस के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा। वे बस सेंट्रल लाइसेंसिंग अथॉरिटी को सूचित करेंगे और काम शुरू कर सकेंगे। टेस्ट लाइसेंस के लिए आवेदन की प्रोसेसिंग अवधि को घटाकर 45 दिन कर दिया है।
कुछ खास शोध के लिए अब सिर्फ अथॉरिटी को सूचना देनी होगी। इन बदलावों से फार्मा कंपनियों और रिसर्चर्स को काफी राहत मिलेगी। इन सुधारों से टेस्ट लाइसेंस के लिए आने वाले आवेदनों की संख्या कम हो जाएगी। इससे दवा विकास और मंजूरी की प्रोसेस तेज होगी। जनता और हितधारक इन प्रस्तावित बदलावों पर अपने सुझाव दे सकते हैं।