नई दिल्ली। आयुर्वेदिक दवा के भ्रामक विज्ञापनों पर रोक वाले नियम को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है। केंद्र सरकार ने सरकार के फैसले पर लगाई गई रोक हटाने की गुहार लगाई है। सर्वोच्च अदालत ने ही पिछले साल नियम 170 हटाने के सरकार के फैसले पर रोक लगाई थी। इससे जुड़ा आयुष मंत्रालय का नोटिफिकेशन भी रद्द कर दिया था।
नियम 170 आयुर्वेदिक, सिद्ध या यूनानी दवाओं के भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाता है। इसके तहत तीनों पद्धतियों की दवाओं का कोई भी विज्ञापन नहीं करने का प्रावधान है। सरकार ने सर्वोच्च अदालत में आवेदन दायर कर जारी आदेश वापस लेने की मांग की है।
सर्वोच्च अदालत ने गत वर्ष याचिका पर सुनवाई के दौरान नाराजगी जताई थी। साथ ही स्पष्ट कर दिया था कि यह नियम फिलहाल कानून की किताबों में रहेगा। अब सरकार ने अदालत से उसके आदेश को ही वापस लेने की गुजारिश की है। नियम 170 को 2018 में ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स,1945 में जोड़ा गया था। इसके अनुसार आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी दवाओं के विज्ञापन लाइसेंसिंग अथॉरिटी से पूछे बिना नहीं दिए जा सकेंगे।
सरकार ने कहा है कि भ्रामक विज्ञापनों की जांच के लिए वैकल्पिक तंत्र मौजूद है। मंत्रालय ने ‘आयुष सुरक्षा पोर्टल’ नामक एक डिजिटल समाधान विकसित किया है। इससे भ्रामक विज्ञापनों की रिपोर्ट पर नजर रखी जाती है। सरकार की गुजारिश है कि अदालत नियम 170 को हटाने के आदेश पर लगी रोक हटाए।