नई दिल्ली। प्राइवेट अस्पताल में दवा की कीमतों के मामले में सरकार को खुद फैसला लेना चाहिए। यह हिदायत सुप्रीम कोर्ट ने निजी अस्पतालों में स्थित दुकानों में दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की अधिक कीमतों के संबंध में याचिका पर दी। कोर्ट ने उचित नीतिगत निर्णय लेने का काम सरकार पर छोड़ दिया।
गौरतलब है कि एक जनहित याचिका में आरोप लगाया गया कि मरीजों को निजी अस्पतालों में खुली दवा दुकानों से महंगे दाम पर दवाएं और चिकित्सा उपकरण खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है।
अदालत ने कहा कि उसके द्वारा दिया गया कोई भी निर्देश निजी अस्पतालों के कामकाज में बाधा पैदा करेगा और इसका व्यापक प्रभाव पड़ सकता है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने विधि छात्र सिद्धार्थ डालमिया और उनके वकील पिता विजय पाल डालमिया द्वारा दायर जनहित याचिका का निपटारा कर दिया। याचिका में आरोप लगाया गया कि निजी अस्पताल मरीजों और उनके तीमारदारों को परिसर स्थित दवा दुकानों या उनसे संबद्ध दवा दुकानों से दवाइयां खरीदने के लिए मजबूर करते हैं। वहीं उनसे दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के लिए ऊंची कीमतें वसूली जाती हैं।