नई दिल्ली। एचआईवी संक्रमण के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवा लेनाकापाविर का नया इंजेक्शन वैरिएंट बनकर तैयार हो गया है। इस माह के अंत तक या 2026 की शुरुआत में इसे बाजार में लाने की योजना बताई गई है। निर्माता कंपनी गिलियड साइंसेस के अधिकारियों का कहना है कि इस दवा को पहले सबसे गरीब देशों में लाया जाएगा।
अधिकारियों के अनुसार नया फॉर्मूलेशन एक साल की सक्रिय क्षमता के साथ आता है और एचआईवी के खिलाफ सुरक्षा में निवारक भूमिका निभा सकता है। दवा ‘लेनाकापाविर’ को पहले ही संयुक्त राज्य अमेरिका में उपयोग के लिए मंजूरी मिल चुकी है। इसकी चिकित्सा के पहले वर्ष की लागत लगभग 42,250 डॉलर है। इस वर्ष नैदानिक परीक्षणों में दवा संक्रमण को रोकने में काफी कारगर रही है।
अब संयुक्त राज्य अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से इस इंजेक्शन वैरिएंट को बाजार में उतारने की परमिशन मांगी गई है। एड्स, टीबी और मलेरिया जैसे रोगों की दवा बनाने वाली कंपनी गिलियाड साइंसेस प्रमुख हुई यांग ने बताया कि वैश्विक स्तर पर इसकी शुरुआत एफडीए और डब्ल्यूएचओ से आवश्यक अनुमति प्राप्त करने पर निर्भर है। हम नहीं चाहते कि गरीब देश इस दवा का इंतजार करें। एड्स राहत के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति की आपातकालीन योजना (पीईपीएफएआर) के साथ साझेदारी करेगा, ताकि उन देशों में महंगी लेनाकापाविर दवा को सस्ती दर में पहुंचाया जा सके।