कानपुर। बैक्टीरिया संक्रमण से बचाने में स्वदेशी एंटीबायोटिक दवा कारगर बताई गई है। देश में अब तक की सबसे सटीक एंटीबायोटिक नेफिथ्रोमाइसिन दवा विकसित कर ली गई है। यह दवा जल्द ही बाजार में उतारी जाएगी। दवा किया गया है कि बैक्टीरियल निमोनिया से पीडि़त के लिए यह दवा संजीवनी के समान होगी।
यह दवा अब तक इस्तेमाल की जाने वाली एजिथ्रोमाइसिल की तुलना में आठ से 10 गुना असरदार होगी और इलाज में आसान व कम वक्त लेगी। कई एंटीबायोटिक का प्रयोग कर चुके बैक्टीरियल संक्रमण के मरीजों के लिए नेफिथ्रोमाइसिन प्रतिरोधी रोगजनकों के खिलाफ प्रभावी है।
वाकहार्ट लिमिटेड ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तहत जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआइआरएसी) के सहयोग से इसे विकसित किया है। शुरुआती तीन चरण के ट्रायल सफल रहे हैं। इनमें 97 प्रतिशत तक संतोषजनक परिणाम देखने को मिले।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलाजी विभाग के प्रो. विकास मिश्रा के अनुसार, निमोनिया से बड़ी संख्या में बच्चे और बुजुर्ग दम तोड़ते हैं। अभी तक ऐसे इनका इलाज एंटीबायोटिक से किया जाता है। एंटीबायोटिक के अधिक लेने से अब मरीजों में दवा असर नहीं कर रही है। ऐसे में नेफिथ्रोमाइसिन निमोनिया के गंभीर मरीजों को राहत देगी। यह दवा प्रतिरोधी बैक्टीरिया के खिलाफ भारत में विकसित पहली एंटीबायोटिक है। इसे तीन दिनों तक दिन में एक बार देकर निमोनिया को काबू किया जा सकता है।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की विषय विशेषज्ञ समिति ने दवा के निर्माण व विपणन की मंजूरी दी है। बाजार में आने से पहले इसे भारत के औषधि महानियंत्रक की औपचारिक मंजूरी का इंतजार है।