गोरखपुर। जेई संक्रमण पर कंट्रोल करने वाली नई दवा इजाद की गई है। बताया गया है कि इससे प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ेगी।
यह है मामला
पूर्वांचल में फैले जापानी इंसेफेलाइटिस के वायरस के संक्रमण पर नियंत्रण के लिए नई दवा तैयार की गई है। यह दवा डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर और उनके शोधार्थी ने खोज निकाली है। दावा किया जा रहा है कि उनका फार्मूला पूरी तरह से कारगर है और इंसानों के लिए सुरक्षित भी है। यह लीवर में प्रोटीन के माध्यम से मस्तिष्क में जाकर दवा जेई के वायरस के वृद्धि को रोक देती है। साथ ही प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ा देगी। यह शोध पत्र विश्व की प्रतिष्ठित दो पत्रिकाओं एलजाइवर और फ्रोंटायर्स में प्रकाशित हुआ है। विश्वविद्यालय प्रशासन अब इसे पेटेंट कराने की तैयारी में है।
यूनिवर्सिटी के भौतिकी विभाग के शिक्षक डॉ. राकेश कुमार तिवारी के निर्देशन में विनय पांडेय ने नौ साल पहले वर्ष 2015-16 में जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस (जेईवी) पर शोध शुरू किया। उस समय जापानी इंसेफेलाइटिस का कहर पूरा पूर्वी उत्तर प्रदेश झेल रहा था।
पहले जेई वायरस फिर उसकी सक्रियता रोकने के उपायों पर अध्ययन किया गया। पाया गया कि एनएस (नॉन स्ट्रक्चरल प्रोटीन) 3 व एनएस-5 की सक्रियता से मस्तिष्क में सूजन आने से दिमागी बुखार का रूप ले लेता है, जिसे जापानी इंसेफेलाइटिस के नाम से जाना जाता है। मानव शरीर में प्रवेश करने के बाद यह वायरस संरचनात्मक एवं असंरचनात्मक दोनों भागों में विभक्त हो जाता है।
चीन की दवा असुरक्षित
बताया गया है कि इस बीमारी में इलाज के लिए चीन में बनी एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से प्रमाणित एसए-14-14-2 नामक दवा आई थी। यह दवा पूर्ण रूप से असुरक्षित एवं इनके साइड इफेक्ट अब सामने आ चुके हैं।