पीजीआई निदेशक प्रो. जगतराम को मिलेगा पद्मश्री

चंडीगढ़। पीजीआईएमइआर के निदेशक प्रो. जगतराम को पद्मश्री से नवाजा जाएगा। पद्मश्री देश का चौथा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है। प्रो. जगतराम साल 2017 में पीजीआई के निदेशक नियुक्त हुए थे।
मूल रूप से हिमाचल के सिरमौर के गरीब परिवार से आने वाले प्रो. जगतराम ने करीब 40 साल पहले पीजीआई ज्वॉइन किया था। उन्होंने यहां से एमएस की पढ़ाई की और साल 1985 में पीजीआई फैकल्टी बने। इस मौके पर उन्होंने कहा कि यह उनके लिए सम्मान की बात है। यह सब मरीजों का आशीर्वाद और साथियों का सहयोग है कि उन्हें यह पुरस्कार मिला। पीजीआई चंडीगढ़ डायरेक्टर का प्रशासनिक कार्य संभालने के बावजूद प्रो. जगतराम आज भी एक दिन में 35 से 40 ऑपरेशन करते हैं। प्रो. जगतराम बहुत ही गरीब परिवार में जन्मे थे। उनके पिता किसान थे और अनपढ़ थे। जब वे प्राथमिक स्कूल में पढ़ते थे तो उस समय में उनके पास न तो स्कूल जाने के लिए ड्रेस होती थी और न ही जूते। पढ़ाई में तेज होने के कारण उनके शिक्षक की नजर उन पर पड़ी और पढऩे-लिखने के साधन उपलब्ध कराए। उसके बाद उन्होंने पीछे मुडक़र कभी नहीं देखा। साल 1985 में उन्होंने शिमला के मेडिकल कालेज से एमबीबीएस की पढ़ाई की और उसके बाद पीजीआई पहुंचे। डा. जगतराम अब तक आंखों के 90 हजार से ज्यादा ऑपरेशन कर चुके हैं। इसमें 10 हजार से ज्यादा बच्चों के ऑपरेशन होंगे। जगतराम को ही मोतियाबिंद सर्जरी की पुरानी तकनीक को बदलकर नई सर्जिकल तकनीक देने का श्रेय जाता है। इससे उच्च गुणवत्ता वाले अत्याधुनिक चिकित्सा प्रौद्योगिकी को मामूली लागत पर गरीब जनता को उपलब्ध कराया। वे नियमित रूप से उपेक्षित और अत्यंत गरीब व्यक्तियों के लिए 135 से अधिक राहत और स्क्रीनिंग शिविरों में नेत्र सर्जन के तौर पर अपनी सेवा दे चुके हैं। उन्हें अमेरिकन सोसाइटी कैटरेक्ट की ओर से बेस्ट ऑफ दी बेस्ट अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। प्रो. जगतराम का नाम पिछली बार पद्मश्री अवार्ड के लिए भेजा था, लेकिन उन्हें निराशा मिली थी। इस बार उनके नाम का प्रस्ताव हिमाचल के गवर्नर आचार्य देवव्रत, पंजाब के गवर्नर व चंडीगढ़ के प्रशासक वीपी सिंह बदनौर, पीजीआई के पूर्व डीन व पद्मश्री अमोद गुप्ता व पीयू के पूर्व वाइस चांसलर व पद्मश्री आरसी सोबती ने किया था।
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