नशे में “उड़ता पंजाब” और “गोल्डन क्रिसेंट”

जालंधर: कहते हैं, किसी जाति, समाज या देश को नष्ट करना हो तो उसकी युवा पीढ़ी का आदी बना दो। गबरू-जवान और किसानों की धरती से अलंकृत रहा पंजाब आज इसी भयानक दौर से गुजर रहा है। नशा हर घर की दहलीज के भीतर घुस कर दीमक की तरह जड़े खोखली कर रहा है। अफीम, भुक्की से शुरू हुआ यह सिलसिला हेरोइन, स्मैक, कोकीन, सिंथेटिक ड्रग, आईस ड्रग जैसे महंगे नशे में तब्दील हो चुका है। इसका दूसरा पहलू ये भी कि पंजाब में बड़े पैमाने पर नशा विदेश से सप्लाई किया जाता है। ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान ड्रग के मुख्य सप्लायर देश हैं। चिंता की बात ये कि नशे कारोबार में नेता, पुलिस, सेना के जवान, ड्रग माफिया और विदेशी एजेंसियों का गहरा गठजोड़ काम कर रहा है। जिस रास्ते नशा आता है उसे गोल्डन क्रीसेंट कहते हैं। खास बात ये कि पहले इसकी खेप सीधे पंजाब बॉर्डर से पहुंचाई जाती थी, लेकिन पठानकोट हमले के बाद सीमा पर ज्यादा निगरानी की वजह से अब राजस्थान होकर पंजाब में नशे की सप्लाई होती है। हेरोइन, अफीम, अफीम की भुसी और ड्रग, ये चार तरह के नशीले पदार्थ है, जिनकी खपत के लिए आज पंजाब बड़ी मंडी है।

आंकड़ों की बात करें तो 6000 करोड़ से ज्यादा की ड्रग्स पिछले पांच वर्षों में पकड़ी गई है। 8.6 लाख लोग पंजाब में ड्रग्स का नशा करते हैं। 2.3 लाख लोगों नशे के आदी बन चुके हैं। 89 प्रतिश पढ़े लिखे युवा नशे की गिरफ्त में जकड़े हुए हैं। 53त्न लोगों को हेरोइन की बुरी लत लग चुकी है।
वार्षिक विश्लेषण करें तो पंजाब में 2011 में 7,231.70 टन, 2012- 105.5 टन,  2013- 30,840.7 टन और 2014 में 885.90 टन ड्रग्स पकड़ी गई है। पंजाब में पैंठ जमा चुके नशे के सौदागरों का रैकेट राजस्थान और गुजरात में भी सक्रीय हैं, लेकिन राजस्थान और गुजरात में हलचल नहीं होती। राजस्थान और मध्य प्रदेश तो अफीम की खेती के लिए विख्यात हैं। इससे हेरोइन बनाने के गैरकानूनी कारखानों की भी तादाद बढ़ी है। काला सोना कही जाने वाली अफीम की खेती से नेता, पुलिस और ड्रग माफिया मालामाल हो रहे हैं।
हैरानी की बात ये कि इस रैकेट में फार्मा कंपनियां, दवा दुकानदार और डॉक्टरों ने भी अपनी जगह बना ली है, वजह मोटा मुनाफा जो है इस धंधे में। कई मनोचिकित्सक तो अनावश्यक रूप से तनाव-अवसाद से घिरे लोगों को हाईडोज नशीली दवाओं का आदी बना रहे हैं, ताकि उनकी दुकान चलती रहे।
फिल्म उड़ता पंजाब के रिलीज से पहले 80 से ज्यादा सीन कट करने से उपजे विवाद ने एक बार फिर देश का ध्यान पंजाब के नशे की ओर खींच लिया हैं। नशे से कैसे घर-युवा-पीढिय़ां बर्बाद हो रही हैं, फिल्म में बेहद करीब से दिखाया गया है।
दुनिया में 90 प्रतिशत अफीम की खेती अफगानिस्तान में होती है। वर्ष 2014 में यहां किसानों ने 2.44 लाख हेक्टेयर भूमि में अफीम की खेती की। उपज ज्यादा और खपत कम होने से पंजाब इस देश का सप्लाई के लिए बड़ा ठिकाना है। यहां हर साल 75 हजार करोड़ की अफीम बेची जाती है।
बेदम होते सरकारी प्रयास
पंजाब को नशा मुक्त करने के सरकारी प्रयास बेदम हो रहे हैं। डॉक्टरों की मानें तो, सरकारी नशा मुक्ति केंद्रों से इलाज लेने के बाद 70 प्रतिशत लोग वापस नशे की दुनिया में लौट जाते हैं। बठिंडा में करोड़ों की लागत से तैयार 60 बेड के नशमुक्ति केंद्र में 15-20 के करीब ही मरीज भर्ती हैं जबकि ओपीडी रोजाना 50 नशा रोगियों की होती है। सरकारी सहयोग से रेडक्रास के नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र में भर्ती मरीजों की संख्या दहाई का आंकडा भी नहीं छू पा रही है।
अव्यवस्था इतनी कि न तो कर्मचारी और डॉक्टरों को समय से वेतन मिल रहा है और केंद्रों में मूलभूत सुविधाओं का भी घोर अभाव रहता है।
सिंथेटिक्स ड्रग की जड़ और क्राइम रिकॉर्ड
पंजाब सियासत में उबाल लाने वाला सिंथेटिक्स ड्रग केस फतेहगढ़ साहिब से चर्चा में आया। यहां पुलिस ने 500 करोड़ रुपये की सिंथेटिक्स ड्रग पकड़ी थी। फिर तो एक के बाद एक केस सामने आते रहे। वर्ष 2015 में पुलिस ने 14 हजार 400 अवैध शराब की बोतलें भी पकड़ी।
एक नजर
7500 करोड़ की ड्रग और 6500 करोड़ की हेरोइन की खपत है हर वर्ष
हेरोइन इस्तेमाल करने वाल 1.23 लाख लोग
पूरे देश में चार गुणा ज्यादा नशेड़ी अकेले पंजाब में
औसत: एक आदमी 1400 रुपये दिन में खर्च है नशे के लिए
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