नई दिल्ली। गंभीर रोग के इलाज में अब इंसान के मल से बनी गोलियां असरदार होंगी। ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने इंसानी मल से दवाएं बनाना शुरू कर दिया है, जो बड़ी बीमारियों के खात्मे में सक्षम हैं।
यह कैप्सूल पूप पिल्स यानी क्रैप्स्यूल्स होंगे। इन छोटे कैप्सूल में स्वस्थ व्यक्ति के मल को भरकर रखा जाता है। अब गंभीर बीमारियों जैसे एडवांस्ड कैंसर और जानलेवा लिवर डिज़ीज़ तक के इलाज में आशाजनक परिणाम दिख रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि हेल्दी इंसान के मल का ट्रांसप्लांट (फीकल ट्रांसप्लांट) बीमारियों से लड़ सकता है और उम्र के असर को कम करने में भी मददगार हो सकता है।
अब ब्रिटेन में शोधकर्ता इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या हेल्दी डोनर से लिया गया सूखा हुआ मल मरीजों की आंतों में छुपे एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया को खत्म कर सकता है। इसका मतलब यह हुआ कि किसी और का मल आपको सुपरबग से बचा सकता है। इस अध्ययन में 41 ऐसे मरीजों को शामिल किया गया, जो हाल ही में दवा-प्रतिरोधी संक्रमण से उबरे थे।
गौरतलब है कि सुपरबग यानी ऐसे रोगाणु जो एंटीबायोटिक दवाओं पर असर नहीं होने देते वर्ष 2050 तक दुनियाभर में लगभग 3.9 करोड़ मौतों का कारण बन सकते हैं। माइक्रोबायोम पर रिसर्च करने वाली वैज्ञानिक क्रिसी सेरगाकी ने बीबीसी से कहा कि अगर पूप पिल्स भविष्य के ट्रायल्स में भी कारगर सिद्ध होती हैं, तो फीकल माइक्रोबायोटा ट्रांसप्लांट भविष्य की नई दवा बन सकती है।