श्रीगंगानगर। एक्सपायरी दवा और बिना फार्मासिस्ट के अन्य दवाओं की बिक्री करने के दोषियों को कोर्ट ने तीन-तीन साल कैद व छह-छह हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
अभियोजन अधिकारी डॉ.चन्द्रप्रकाश ने बताया कि 9 अक्टूबर 2007 को औषधि नियंत्रण अधिकारी ने केस दर्ज करवाया था। बताया गया कि सुखाडिया मार्ग पर टांटिया हॉस्पिटल में संचालित दवा दुकान मैसर्स राघव मेडिकल स्टोर का निरीक्षण किया।
दुकान में फिजीशयन सैपल, अवधिपार औषधियां व राजकीय सप्लाई की भण्डारित दवाएं पाई गई। जां में पता चला कि दवाइयों का अवैध रूप से संग्रहण व विक्रय किया जा रहा था। इसके अलावा, दुकान के भागीदार रतन लाल गर्ग पुत्र महावीर प्रसाद और रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट रशपाल सिंह पुत्र बलदीप सिंह के पास औषधि विक्रय, संग्रह, प्रदर्शन संबंधी कोई अनुज्ञा पत्र या प्रमाण पत्र नहीं था।
रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट की अनुपस्थिति में शेड्यूल एच दवाइयां और अवधि पार दवाएं बेची गई। बिक्री के बिल बुके व निरीक्षण पुस्तिका भी मौके पर नहीं मिली। इस मामले में दुकान फर्म के भागीदार अनिल टांटिया पुत्र जगदीश राय टांटिया को भी आरोपी बनाया लेकिन अदालत ने उनके खिलाफ प्रक्रिया को 31 मई 2012 निरस्त कर दिया।
अदालत ने लंबी सुनवाई के उपरांत राघव मेडिकल स्टोर के भागीदार रतन लाल गर्ग पुत्र महावीर प्रसाद और फार्मासिस्ट. रशपाल सिंह पुत्र बलदीप सिंह को दोषी मानते हुए तीन-तीन साल की कैद व तीन-तीन हजार रुपए जुर्मानाा लगाया है।