महराजगंज। नारकोटिक्स दवा तीन गुना दाम पर धड़ल्ले से बेची जा रही हैं। इन्हें न केवल सीमा पर बल्कि बिहार भी भेजा जा रहा है। औषधि विभाग के अनुसार नारकोटिक्स की दवा केवल डॉक्टर की पर्ची पर ही बेची जानी अनिवार्य है। इसे खुले में नहीं बेचा जा सकता।
पता चला है कि मेडिकल स्टोर से आमजन को ये दवाएं नहीं मिलती हैं। इस काले धंधे से जुड़े लोगों ने कोर्ड वर्ड बना रखे हैं। ये कोर्ड वर्ड हमेशा बदलते रहते हंै। इस पूरे खेले में बड़ा सिंडिकेट शामिल है।
ये प्रतिबंधित दवाएं दुकानों में नहीं रखी जाती हैं। इनके पकड़े जाने पर कार्रवाई के डर से दुकानदार गुप्त ठिकानों पर इन्हें रखते हैं। दुकानदार एमआपी से दो या तीन गुना दाम पर इन दवाओं को बेचकर खूब मुनाफा कूटते हैं।
यहां चलता है ये धंधा
बता दें कि करोड़ों का यह धंधा पूरे बिहार तक फैला हुआ है। नशा करने वाले युवक बार्डर से आसानी से भारतीय सीमा में चले जाते हैं और गोली का सेवन कर चले जाते हैं। इसमें उनको पकड़े जाने का खतरा भी कम रहता है। सीमावर्ती क्षेत्र ठूठीबारी, रेगहियां, झुलनीपुर, सिसवा, बरगदवा, लक्ष्मीपुर समेत अन्य क्षेत्रों में धड़ल्ले से काम किया जा रहा है।
केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट फेडरेशन के जिलाध्यक्ष अशोक चौरसिया कहते हैं कि लाइसेंस दुकानदार गलत काम नहीं करते हैं। यह सब बगैर लाइसेंस वाले ही करते हैं। इससे असली कारोबारी की छवि खराब होती है। सख्ती के कारण कोई कारोबारी नारकोटिक्स की दवा नहीं रखना चाहता है।
केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट फेडरेशन के प्रदेश महासचिव सुरेश गुप्ता ने बताया कि नार्कोटिक्स ड्रग्स एवं साइकोट्रोपिक सब्सटांस की दवा नशे में भी इस्तेमाल होती है। खासकर कोडीन कफ सिरप। विभाग द्वारा खानापूर्ति के लिए जांच की जाती है। कुछ दिनों के लिए चुनिंदा कारोबारी का लाइसेंस निलंबित कर बाद में लेनदेन करके निलंबन समाप्त कर दिया जाता है।