धनबाद। कोरोना की दूसरी लहर ने जिस तरह से आतंक मचाया था तो वहीं दूसरी तरफ आपदा में लोग अवसर तलाश रहे थे। बता दें कि कोरोना काल में सिलेंडर से लेकर रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के मामले भी लगातार देखने को मिल रहे थे। लेकिन अब इसी कड़ी में निजी अस्पताल व नर्सिंग होम में जाँच के आदेश दिए गए है। तो वहीं अब जांच में अस्पतालों की पोल खुलने की भी आदेश लगाए जा रहे है। कोरोना की दूसरी लहर में वैसे निजी अस्पताल व नर्सिंग होम पर कार्रवाई होना तय है जिन्होंने महामारी में रेमडेसिविर को आपदा में अवसर के तौर पर बदला है।

ड्रग निदेशालय ने धनबाद में अस्पतालों में रेमडेसिविर की खपत को लेकर जांच के निर्देश दिए हैं। इसमें रेमडेसिविर की खपत, मरीजों की सूचनाएं, आधार कार्ड, किस मरीजों को कितना डोज दिया गया आदि की जानकारी मांगी है। इसके साथ ही रेमडेसिविर की खाली शीशी की भी जानकारी मांगी गई है। निर्देश पर जल्द कमेटी बनाकर इसकी जांच शुरू कराई जाएगी। इधर, सूचना के बाद निजी अस्पताल व नर्सिंग होम संचालकों में हड़कंप है। खास कर वैसे नर्सिंग होम या निजी अस्पताल जो पहले से सवालों के घेरे में रहे हैं।

इससे पहले भी खाली शीशी को स्वास्थ्य विभाग को जमा करने को कहा गया था, लेकिन अब तक किसी भी नर्सिंग होम या निजी अस्पतालों ने शीशी जमा नहीं की है। हालांकि इससे पहले रेमडेसिविर को लेकर निजी अस्पतालों ने जानकारी दी थी, लेकिन अब विभागीय निर्देश पर जांच होने जा रही है। दरअसल ड्रग इंस्पेक्टर -शैल अंबष्ठ ने बताया कि रेमडेसिविर को लेकर वैसे सभी निजी अस्पतालों व नर्सिंग होम की जांच होगी, जहां इसका प्रयोग हुआ है। जांच के बाद इसकी रिपोर्ट मुख्यालय को सौंपी जाएगी। इसके लिए मरीज संबंधी तमाम जानकारियां ली जाएंगी।

दूसरी लहर में कई छोटे-छोटे निजी अस्पतालों में भी रेमडेसिविर की मांग की गई। कई निजी अस्पताल व नर्सिंग होम ने अपने अस्पताल में मरीजों की जरूरत से ज्यादा वैक्सीन की मांग की। ड्रग कार्यालय ने भी माना था कि निजी अस्पतालों की मांग ज्यादा हो रही है। ऐसे में ड्रग कार्यालय ने ऐसे अस्पतालों की मांग से आधी ही आपूर्ति का निर्देश जारी किया था। फिर भी निजी अस्पतालों में स्टाक का बचना सवालों के घेरे में है। निजी अस्पतालों का कहना है कि कई बार जिन मरीजों के लिए रेमडेसिविर मंगाया गया या तो उनकी मौत हो गई या वे दूसरी जगह इलाज के लिए चले गए। इससे उनके हिस्से का डोज बच गया। केस: 1- पाटलीपुत्र नर्सिग होम में 50 से अधिक वैक्सीन

पाटलीपुत्र नर्सिंग होम के पास 50 से अधिक वैक्सीन स्टाक में हैं। अब अस्पताल के पास इतना स्टाक रहने पर विभाग भी अपने स्तर से जांच कर रहा है। वहीं अस्पताल के चिकित्सक डॉ. निखिल ड्रोलिया ने बताया कि सरकार के द्वारा तय गाइडलाइन के तहत ही दवा ली गई। जब रेमडेसिविर की ज्यादा मांग थी, तब वैक्सीन नहीं मिल रही थी। 15 मई के बाद जब केस नहीं मिलने लगे, तब उन्हें सरकार द्वारा निर्देशित दवा कंपनी ने आकर वैक्सीन दिया। केस:2- जालान अस्पताल में भी 12 से अधिक डोज

एशियन जालान अस्पताल में भी रेमडेसिविर के 12 से अधिक डोज बचे हुए हैं। महामारी के दौरान अस्पताल ने लगभग तीन सौ वैक्सीन की मांग की थी। अब अस्पताल का कहना है कि उनके पास भी दवा को डोज बच गया है। हालांकि इसकी जांच अब ड्रग इंस्पेक्टर अपने-अपने स्तर से करेंगे। किस अस्पताल को मिला कितना डोज

एशियन जालान अस्पताल 300

पाटलिपुत्र अस्पताल – 419

असर्फी अस्पताल – 244

प्रगति नर्सिंग होम – 195

केएम मेमोरियल अस्पताल – 52

यशलोक अस्पताल – 32

संगीत हेल्थ केयर – 68

हिलमैक्स अस्पताल – 17

सनराइज – 14

राज क्लिनिक – 2

हालांकि अब इन सब चीजों को लेकर लगातार सवाल भी खड़े किए जा रहें है। अस्पतालों को मुख्यालय रांची से हर रोज भेजे गए रिक्विजिशन पर दवा एलाट किया जाता था, तो इन अस्पतालों के पास इतने डोज कैसे बच गए। रिक्विजिशन फार्म में हर मरीज का ब्योरा देना होता था और दवा उसी मरीज के नाम पर एलाट होता था। ऐसे में एक साथ इतनी संख्या में दवा भेजने से पहले मरीज की जानकारी क्यों नहीं ली गई? इसकी निगरानी करने वाला ड्रग कार्यालय स्पाट निरीक्षण क्यों नहीं कर रहा था। जब रेमडेसिविर के लिए लोगों की जान जा रही थी, तब दवाएं समय पर क्यों नहीं मिल रही थी।