सीतापुर। मरीजों को वितरित की जाने वाली दवा, मरीजों के बजाय कूड़े में फेंकी जा रही है। गौरतलब है कि ये कोई पहला मामला नहीं है जब मरीजों को दी जाने वाली दवा यूं कूड़े में फेंकी गई हो। सीतापुर ब्लाक कार्यालय के पास बाल विकास परियोजना कार्यालय के पीछे कूड़े में दवाओं के पैकेट फेंके गए हैं। बाल विकास परियोजना कार्यालय के पीछे फेंके गए दवाओं के पैकेट में पैरासीटामाल, च्यूबेल कपांड मैगनेशिम का एक-एक पत्ता रखा गया है। डाक्सीसाइक्लीन, कैल्सीयम व ओआरएस का एक पाउच भी पैकेट में है।
ओआरएस को मिलाकर पैकेट में छह दवाएं हैं। पैरासिटामाल टेबलेट अभी एक्सपायर नहीं हई हैं। उसकी एक्सपायरी डेट अक्टूबर 2021 है। वहीं च्यूबेल कपांड मैगनेशिम की एक्सपायरी डेट मई 2022 लिखी है। ग्रामीणों को वितरित की जाने वाली दवा अगर उन तक पहुंचती तो काफी लाभ होता। आमजन को दवा के लिए यहां से वहां भटकना नहीं पड़ता। जिम्मेदारों की अनदेखी की वजह से आमजन के लिए भेजी गई कुछ एक्सपायर हो गई और कुछ प्रयोग लायक दवाओं को भी कूड़े में डाल दिया गया। काली पन्नी में बनाए गए इस पैकेट में छह तरीके की दवा है। इनमें कुछ दवाओं का समय समाप्त हो चुका है, पैरासिटामाल व एक अन्य दवा की एक्सपायरी डेट अभी बाकी है।
कूड़े में करीब 100 से 150 पैकेट पड़े हैं। यह पैकेट पालीथिन में भरकर लाए गए। अस्पताल के जिम्मेदारों की मानें तो दवाओं के पैकेट आशा कार्यकर्ताओं को दिए गए थे। दवा का वितरण गांवों में किया जाना था। दवा किसी आशा कार्यकर्ता ने फेंकी होगी, यह भी कहा जा रहा है। अधीक्षक सीएचसी पिसावा- संजय श्रीवास्तव ने बताया कि दवा के पैकेट कई बार आशा कार्यकर्ताओं को दिए थे। दवा के पैकेट कूड़े के ढेर में किसने फेंके, इसकी जांच कराई जाएगी। कार्रवाई की जाएगी। सीडीपीओ प्रभारी – ऊषा देवी का कहना है कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर कोई दवा नहीं भेजी गई थी। हमें विटामिन की सीरप व गोलियां ही मिली थीं। कार्यालय के पीछे डाले गए दवा के पैकेट कहां से आए हमें जानकारी नहीं है। सीएचसी पिसावां पर तैनात बीपीएम दुर्गेश सिंह के मुताबिक वर्ष 2020 में आशा कार्यकर्ताओं को दवाओं के पैकेट दिए गए थी। दवाओं का वितरण गांवों में किया जाना था।